scriptआपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें | asirgarh fort and its interesting facts of history | Patrika News
बुरहानपुर

आपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें

आपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें

बुरहानपुरApr 28, 2019 / 05:31 pm

Faiz

आपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें

आपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें

भोपालः भारत का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश जितनी अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक चीजों के लिए विश्व प्रसिद्ध है उतना ही ये अपने रहस्यमयी स्थानों के लिए भी जाना जाता है। पौराणिक काल से जुड़ा यहां का इतिहास न जाने कितनी अनसुलझी पहेलियों को खुद में समेटे हुए है। पुरातत्व विभाग के अंतर्गत प्रदेश में आज भी ऐसी कई जगह हैं जो अपने आप में एक पहेली के समान है, जिनका क्या अर्थ ये जानने वाला खुद ही उलझता जाता है। ऐसी ही एक अनसुलझी पहली मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ के किले की भी है, जिससे जुड़े कई रोचक किससे आपको हैरान कर देंगे।

asirgarh fort news

खुदाई में सामने आई हजारों साल पुरानी ये चीजें

छेत्रीय लोगों का मानना है कि, इस किले के रहस्य कभी खत्म ही नहीं होते यहां आए दिन लोगों को इस किले से जुड़ी नई नई चीजों के बारे में पता चलता है। इसी के चलते पुरातत्व विभाग की टीम इस किले का समय समय पर निरिक्षण करती रहती हैं। इसी को लेकर हाल ही में किले की पश्चिमी दिशा में खुदाई की गई थी, खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग की टीम को कई खास चीजें मिलीं। खुदाई किये गए स्थान से जमीन के अंदर एक खूबसूरत महल मिला, जांच में सामने आया कि, ये महल रानी के लिए बनवाया गया होगा। रानी महल में गुप्त 20 कमरों का पता चला है। पुरातत्व विभाग की मानें तो यह महल 100 बाय 100 की जगह में बना है। इस महल में एक स्नान कुंड भी है। साथ ही, खुदाई में एक जेल का भी पता चला है। जेल में लोहे की खिड़कियां लगी हुई हैं। साथ ही, दरवाजे भी मिले हैं। जेल में लगभग चार बैरकें हैं।

asirgarh fort news

किले से जुड़ा रहस्यमयी तथ्य

असीरगढ़ किला भारत खास संरचनाओं में से एक है, जो सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित है। समुद्र तल से लगभग 250 फुट की ऊंचाई पर स्थित ये किला आज भी अपने वैभवशाली अतीत को बयान करता है। ऐसा कहा जाता है कि, ऊंचे पहाड़ पर स्थित इस किले में एक जलाशय है, जो कितनी ही भीषण गर्मी हो कभी सूखा नहीं है। यहां के लोग ये मानते हैं कि, भगवान कृष्ण के श्राप का शिकार अश्वत्थामा यहां स्नान करने के बाद पास में स्थित शिव मंदिर में पूजा करने जाते हैं। भगवान शिव का मंदिर तालाब से थोड़ी दूर गुप्तेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के चारों ओर गहरी खाईंयां हैं। माना जाता है कि इन खाइयों में से किसी एक में गुप्त रास्ता है, जो मंदिर से जुड़ा है।

asirgarh fort news

महाभारतकाल से जुड़ी हैं यहां की मान्यताएं

कहा जाता है कि इस किले में महाभारत के कई प्रमुख चरित्रों में से एक अश्वत्थामा आज भी वहां वजूद है। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने निकले अश्वत्थामा को उनकी एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। लोगो का मानना है कि अश्वत्थामा लगभग पिछले पांच हजार से यहीं भटक रहे हैं। किले के संदर्भ में लोगों का मानना है कि, किले के गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में अश्वत्थामा अमावस्या व पूर्णिमा तिथियों पर शिव की उपासना और पूजा करते हैं। यह सिलसिला पांच हजार सालों से जारी है। हालांकि, इस दावे की पुष्टि तो नहीं हुर्इ, लेकिन कुछ बातों और घटनाओं के आधार पर ये मान्यता है कि, ऐसा अश्वत्थामा ही कर सकते हैं।

asirgarh fort news

कौन हैं अश्वत्थामा?

अश्वत्थामा महाभारतकाल यानी द्वापर युग में जन्मे थे। उन्हें उस युग का श्रेष्ठ योद्धा माना जाता था। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र व कुरु वंश के राजगुरु कृपाचार्य के भानजे थे। द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या सिखाई थी। महाभारत के युद्ध के समय गुरु द्रोण ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवों का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की भांति शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण थे। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया था।

asirgarh fort news

असीरगढ़ का नामकरण ?

किले को लेकर देश-प्रदेश के विद्वानों का मानना है कि, इसका निर्माण रामायण काल में हुआ है। असीरगढ़ के नामकरण के पीछे एक इतिहास से संबंधित एक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार यहां कभी कोई आशा अहीर नाम का इंसान रहने आया था, जिसके पास हजारों पशु थे। कहा जाता है कि उन पशुओं की सुरक्षा के लिए आशा अहीर ने ईंट गारा – मिट्टी व चूना-पत्थरों का इस्तेमाल कर दीवारें बनाई थी। इसी वजह से कथा को महत्व देते हुए अहीर के नाम पर इस किले को असीरगढ़ नाम दिया गया। इस किले पर कई सम्राटों का शासन रहा है। यहां कई समय तक चौहान वंश के राजाओं ने भी राज किया है।

asirgarh fort news

कैसे पहुंचे यहां

असीरगढ़ किला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। 20 किमी का यह छोटा सफर आप स्थानीय परिवहन साधनों की मदद से पूरा कर सकते हैं। बुरहानपुर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप बुरहानपुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।

Home / Burhanpur / आपको हैरान कर देगा MP के इस किले का इतिहास, यहां खुदाई में निकली थीं कई रहस्यमयी चीजें

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो