कंडे की होली जलाकर युवा बचाएंगे पर्यावरण, कल से तैयार होंगे कंडे
- पूर्वमंत्री भी आएगी कंडे बनाने
- स्वामी विवेकानंद गणेशोत्सव समिति की पहल

बुरहानपुर. होलिका दहन की रस्म में पर्यावरण और वन बचाने के मकसद से शहर के युवाओं ने एक अच्छी पहल की है। राजपुरा रोडके स्वामी विवेकानंद गणेशोत्सव समिति ने यह संकल्प किया है कि होलिका दहन में लकड़ी की बजाय गोबर के कंडों का उपयोग करेंगे। रविवार को समिति कंडों का निर्माण करेंगी, इसमें पूर्वमंत्री अर्चना चिटनीस भी आएगी। होली दहन ९ मार्चसोमवार को होगा, धुलेंडी १० मार्चको मनेगी।
मंडल के पदाधिकारी अमोल भगत ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं की ओर से होलिका दहन में लकड़ी की बजाय कंडों का उपयोग करने का निर्णय किया गया। जिसके बाद सभी ने यह संकल्प लिया कि होलिका दहन में सिर्फ गाय के गोबर के कंडों का इस्तेमाल करेंगे। मंडल की इस पहल को सभी ने सराहा भी। और इस वर्ष हम यही कर रहे हैं। साथ ही अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे भी होलिका दहन में लकड़ी का उपयोग न करें। इसका प्रचार प्रसार करने में मंडल के कई युवा जोर.शोर से लगे हुए हैं। इसमें मनीष भगत, शेखर पाटिल, हितेश भगवे, नागेश महाजन, विक्की गौर, अजय राठौर, राहुल मराठा, निखील शाह, सुमित शाह, शानु नवग्रहे आदि कंडे निर्माण में जुटेंगे।
युवाओं का बेहतर प्रयास
अमोल भगत का मानना है कि युवाओं की यह पहल काफी सराहनीय है। प्रत्येक वर्ष होलिका दहन में हजारों टन लकड़ी जला दी जाती है, लेकिन यदि लोग इन युवाओं से प्रेरित होकर कडों का उपयोग करें तो प्रति वर्ष हजारों पेड़ों का कटने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा कंडों के उपयोग से कई फायदे भी हैं। इसे हर व्यक्ति को समझना भी होगा।
युवा जीवंत कर रहे परंपरा
क्षेत्र के समाजसेवी दिलीप श्रॉफ ने कहा कि पूर्व में किसी भी धार्मिक कार्य में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता था। जो अब धीरे. धीरे खत्म सा हो गया है। लेकिन युवाओं की यह पहल हमें अपनी परंपरा की याद दिला रही है। इसके साथ ही प्रदूषण की रोकथाम में भी अहम भूमिका निभाने वाली साबित होगी। इन युवाओं का देखते हुए ही कंडों की होली जलाने का निर्णय किया गया है।
यह होंगे फायदे
कम होगा लकड़ी का दोहन
कंडों की खरीदारी से गोशालाओं की आय बढ़ेगी। जिससे मवेशियों का भरण पोषण और बेहतर हो सकेगा।
पेड़ों की कटाई पर लगाम लगेगी। जिससे पर्यावरण बचा रहेगा।
आर्थिक बचत भी होगी क्योंकि लकड़ी का मूल्य कंडों से अधिक है।
3 मार्च को लगेगा होलिका अष्टक नहीं हो सकेंगे शुभ कार्य
इस बार होलाष्टक 3 मार्च से लगेंगे और होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस बार मार्च माह मे 2 मार्च तक विवाह मुहुर्त हैं। इसके बाद धुलंडी के बाद 11 मार्च से विवाह के मुहर्त हैं। पंडित शैलेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि होलाकष्टक के दौराना विवाह कार्य वर्जित रहते हैं।
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