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इस तरह चीन को सबक सिखाएंगे यहां के बुनकर, बड़ी सप्लाई होगी प्रभावित

जहां एक तरफ सेना देश की सरहदों को बचाने के लिए दुशमन को करारा जवाब दे रही है। वहीं, अब भारतवासी चीन से जुड़े व्यापार को भी बंद करने की तैयारी कर रहे हैं।

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इस तरह चीन को सबक सिखाएंगे यहां के बुनकर, बड़ी सप्लाई होगी प्रभावित

बुरहानपुर/ भारत और चीन के बीच बढ़ते विवाद पर अब देशवासी भी भारतीस सेना के साथ एकजुट खड़े होने लगे हैं। जहां एक तरफ सेना देश की सरहदों को बचाने के लिए दुशमन को करारा जवाब दे रही है। वहीं, अब भारतवासी चीन से जुड़े व्यापार को भी बंद करने की तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब बुरहानपुर के टेक्सटाइल व्यवसायी और बुनकरों ने चीन से तौबा कर ली है। ये लोग अब चीनी पावरलूम और मशीनरी का इस्तेमाल अपने व्यवसाय में नहीं करेंगे।

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PM मोदी के आत्म निर्भर भारत को करेंगे साकार

इन व्यवसाइयों ने कपड़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला धागा खरीदना पहले ही बंद कर दिया था। अब चीनी पावरलूम और मशीनरी भी खरीदने से इंकार कर दिया है।ये व्यवसायी अब स्वदेशी पावरलूम और मशीनरी पर अपना सामान तैयार करेंगे। इन लोगों ने पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान या लोकल को वोकल बनाने के मिशन में भागीदार बनने का फैसला किया है।

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करीब पूरा शहर पावरलूम उद्योग से जुड़ा है

अपको बता दें कि, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पावरलूम सेंटर बुरहानपुर में है। यहां का सूती कपड़ा उद्योग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खासा लोकप्रीय है। यहां 50 हजार पावरलूम हैं, जिसपर बुनकर रोजाना 40 लाख मीटर कपड़ा तैयार करते हैं। ये कपड़ा पूरे देश के साथ विदेशों में भी निर्यात होता है। इन पावरलूम पर करीब 70 हजार बुनकर और मजदूर अपना रोजगार हासिल करते हैं। वहीं, करीब 2 लाख की आबादी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से इसी पावरलूम उद्योग से जुड़ी हुई है। यानी ये कह सकते हैं कि पावरलूम उद्योग की रीढ़ बुरहानपुर है।

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[typography_font:14pt;" >लोकल से वोकल

कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के कारण इस उद्योग को खासा नुकसान हुआ है। लॉकडाउन के बाद अनलॉक 1.0 में धीमी गति से ही सही, लेकिन पावरलूम उद्योग रफ्तार पकड़ सका है। इस बीच पड़ोसी देश चीन की सीमा पर की गई हरकत से बुरहानपुर के कपड़ा व्यवसायी और बुनकर खासे नाराज़ हैं। वैसे तो यहां बड़ी संख्या में पारंपरिक पावरलूम हैं, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब धीरे धीरे आधुनिक पावरलूम का इस्तेमाल भी बढ़ गया है, जिसे चीन से आयात किया जाता है। क्योंकि, इससे काम की स्पीड काफी तेज हो गई, जिससे तेजी से डिमांड पूरी की जाने लगी। लेकिन अब चीन की हरकतों के चलते नाराज़ टेक्सटाइल कारोबारियों और बुनकरों ने चीन के बहिष्कार का फैसला लिया है।

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स्वदेशी को मिला समर्थन

स्व. राजीव दीक्षित के स्वदेशी आंदोलन से जुडे राजेश बजाज ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि, राजीव दीक्षित ने छोटे से उत्पाद से लेकर बड़े उत्पादों के लिए यह अभियान चलाया था, जिसे अब सार्थक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, देश में बनने वाले पावरलूम और कपड़े काफी महंगे होते थे, इसलिए टेक्सटाइल उद्योगपति चीन से पावरलूम और कपड़ा आयात करते हैं। लेकिन अब आयात बंद होगा तो देश में आधुनिक पावरलूम और कपड़े की मांग बढ़ेगी और जब मांग बढ़ेगी तो स्वाभाविक है लागत भी घटेगी और उनका दाम भी कम होगा। इससे देश के लोगों को रोजगार मिलेगा और पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा।