आइसोलेशन वार्ड में बेड खा रहे धूल, ऑक्सीजन सिलेंडर न इमरजेंसी दवाइयों की व्यवस्था
कोरोना वायरस को लेकर अस्पताल प्रबंधन लापरवाह
बेड पर जमी है धूल, चकाचक नहीं है वार्ड

बुरहानपुर. आइसोलेशन वार्ड, यह नाम आते ही जहन में ख्याल आता है चकाचक वार्ड, इमरजेंसी व्यवस्थाएं। लेकिन जिला अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड आपकी सोच से अलग है। यहां गंभीर मरीज के लिए वार्ड तो बनाया है, लेकिन जब अंदर देखेंगे तो नजर आएगा पलंग पर चादर तक नहीं, जिस हालत में है वह भी धूल से पटे हुए। इमरजेंसी दवाइयां है न संसाधन। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस को लेकर अस्पताल प्रबंधन कितना संजिदा है।
कोरोना वायरस का जब भारत में प्रवेश हुआ तो हो हल्ला मच गया। भोपाल मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद लगातार सुविधाएं जुटने लगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसर ने लगातार बैठक ली। यहां तक निजी क्लीनिक और अस्पतल के चिकित्सकों को बुलाकर व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने, किस तरह मरीज की पहचान करे और उसके उपचार की सलाह दी। लेकिन अफसर खुद अपने जिला अस्पताल की हालत पर ध्यान नहीं दे पाए।
पहले तल पर 122 नंबर है वार्ड
जिला अस्पताल के भवन की पहली तल मंजिल। इसका वार्ड नंबर 122 को बनाया है आइसोलेशन वार्ड। जब यहां झांककर देखा तो अव्यवस्था के अलावा कुछ नहीं दिखा। तीन बेर्ड तीनों पर धूल पसरी थी। पूरे हॉल में कोई इमरजेंसी सुविधा नहीं। इसी में बना है एक कमरा, जहां झांककर देखा तो पुराना रिकॉर्ड धूल खाता पड़ा मिला। यह पूरी हकीकत आइसोलेशन वार्ड की देखने को मिली।
यह होनी चाहिए व्यवस्था
ऑक्सीजेशन सिलेंडर होना चाहिए, इमरजेंसी दवाइयां रखी जाना चाहिए। कार्डिएक मॉनिटर, पल्स ऑप्सीमीटर, वेंटिलेटर और इसे चलाने वाला भी चाहिए। बेड चकाचक होना चाहिए। इस पर साफ सुथरी चादर होना चाहिए। सामान्य मरीज को यहां 48 घंटे और संक्रमित मरीज को 14 दिन रखा जाता है।
आठ दिन में पुणे से आएगी जांच रिपोर्ट
सिविल सर्जन के अनुसार जिला अस्पताल में सभी व्यवस्था कर ली है। सर्दी, खासी, बुखार वाले मरीजों के लिए अलग से ओपीडी बनाई है। आइसोलेशन वार्ड बनाया है। विशेष ड्रेस और मास्कर 100 बुलाकर रख लिए हैं। संदिग्ध मरीज आता है तो उसके सेंपल को पुणे में जांच के लिए भेजा जाएगा। इसकी रिपोर्ट 8 दिन बाद आएगी।
100 गुना बढ़ी मास्क की खपत
कोरोना वायरस की दहशत ऐसी है कि 100 गुना मुंह पर लगाने वाले मास्क की खपत बढ़ गई। मेडिकल एसोसिएशन के सचिव शरद जैन ने कहा कि सप्ताह में 100-200 मास्क बिकते थे, जो अब हजार तक खपत हो रही है। अच्छी गुणवत्ता वाला मास्कर तो उपलब्ध ही नहीं हो रहा। सामान्य कपड़े के भी बिक रहे हैं।
विदेश और अन्य शहरों में जाने वाले यात्री भी घटे
बीमारी के डर के कारण टे्रव्लस बुकिंग भी घट गई। विदेश पर जाने वाले यात्रियों की बुकिंग भी 70 फीसदी तक घटी है। जबकि अन्य शहरों में लोग जरूरी काम से ही निकल रहे हैं।
- अस्पताल में 122 नंबर कमरे में आइसोलेशन वार्ड बना लिया है। सभी पर्याप्त व्यवस्था कर ली। अलग से ओपीडी और चिकित्सक की व्यवस्था की है।
- डॉक्टर शकील अहमद खान, सिविल सर्जन
बीयू0704:
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