नसबंदी शिविर में महिलाओं को लेकर पहुंची आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुषमा बैरागी, सुनंदा महाजन, सरीता महाजन, मनीक्षी चितारी ने विरोध करते हुए कहा कि नसबंदी का टारगेट पुरा करने के लिए कार्यकर्ताओं पर दबाव डाला जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऑपरेशन शिविर में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की जाती है। शहरी सहित ग्रामीण अंचलों से कई महिलाएं सुबह से अपने बच्चे और घर परिवार को छोड़कर अस्पताल पहुंची है। पंजीयन और चेकअप के बाद महिलाओं को जमीन पर बिना गद्दे डालते ही लेटा दिया गया। कार्यकर्ताएं और महिलाएं सुबह से भूखे, प्यासे अस्पताल में डॉक्टर का इंतजार कर रहे हंै। दोपहर तक न तो स्वच्छ पानी मिला और न ही नाश्ता दिया गया। शिविर के जिम्मेदार अधिकारियों से पूछने पर डॉक्टर के जल्द आने की बात कही जाती है। ऑपरेशन शिविर में सुविधाएं नहीं मिलने से कई महिलाएं नहीं पहुंच रही है।हर कार्यकर्ता को टारगेट पूरा करने के लिए कहा जाता है।
जिम्मेदार बोले- अप्रैल से नहीं मिला बजट
जिला अस्पताल में नसबंदी शिविर प्रभारी बीडी शर्मा ने कहा कि हमारे पास किसी प्रकार का कोई बजट नहीं है, अप्रैल माह से अब तक लगाए गए शिविरों की राशि नहीं मिली है। शासन से प्रति नसंबदी शिविर में व्यवस्थाओं के लिए 6 हजार रुपए की राशि दी जाती है। हर माह अस्पताल में चार नसबंदी शिविर होते हैं, 3 लाख तक की राशि बाकी है। लेकिन अभी तक किसी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ। जिससे शिविर में व्यवस्थाएं बाधित हो रही है। भुगतान को लेकर हमने वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है। नसबंदी का ऑपरेशन करने के लिए सर्जन डॉक्टर बाहर से आते है इस लिए देरी होती है।
– अस्पताल में जो शिविर होते हैं उसकी जिम्मेदारी, सिविल सर्जन, आरएमओ और शिविर प्रभारी की होती हैं। फिर भी अगर ऐसी कोई अव्यवस्था हुई है तो इसकी जांच की जाएगी।
निशांत मिश्रा, जिला परिवार कल्याण अधिकारी
– शिविर का बजट रूका हुआ है, जल्द ही व्यवस्था करवाते हैं।
विक्रमसिंह वर्मा, सीएमएचओ बुरहानपुर