59 साल बाद सुभाष स्कूल पहुंचे बुजुर्ग तो याद आ गई बचपन की शरारतें
व्हाट्सऐप पर बनाया अपना ग्रुप
पुराना स्कूल देखकर खुश हुए बुजुर्ग

बुरहानपुर. 1961 के विद्यार्थी जीवन की यादों को ताजा करने के लिए शनिवार को 30 से अधिक बुजुर्ग सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय पहुंचे। डॉक्टर, इंजीनियर सहित अन्य पदों से रिटायर हुए बुजुर्गों ने फिर से कक्षा के अंदर बैठकर पुराने दिनों को याद किया। सुभाष स्कूल की पुरानी छतों और कक्षों को देखकर विद्यार्थी जीवन में की गई शरारतों को भी याद कर दोस्तों में शेयर किए।
59 साल बाद गुजरात से आए डॉक्टर नगेंद्रनाथ नागर ने बताया सुभाष स्कूल में हम 1961 साइंस बैच के विद्यार्थी रहे है। पुराने स्कूल देखने के लिए आज बुरहानपुर आए है, स्कूल का भवन पुराने है लेकिन बहुत बदलाव हो गया है। पहले कक्षा के दरवाजे बाहर मैदान में खुलते थे, अब अंदर की तरफ खुल रहे है। मैदान की तरफ दरवाजे खुलने से विद्यार्थी पढ़ाई के दौरान भाग जाते थे। स्कूल का सांइस हॉल पुराना ही है। स्कूल के समय हम दोस्तों के साथ मिलकर शकर कुएं पर बेर खाने के लिए जाते थे। पुराने दोस्तों से मिलने और स्कूल की यादों को ताजा करने के लिए व्हाट्सऐप पर एक गु्रप बनाया। 3 माह के अंदर सभी दोस्तों के नंबरों को जोड़कर पुरानी स्कूल और शिक्षकों से मिलने का प्लान तैयार किया। कक्षा 12वीं पास करने के बाद सभी लोग आगे की पढ़ाई के लिए अलग-अलग हो गए थे। कई दोस्त डॉक्टर और इंजीनियर हंै तो कई रिटायर हो गए हंै।
पुरानी शरारतों को याद कर दोस्तों में किया शेयर
डॉक्टर हरकचंद सुगंधी ने बताया कि 1996 में सुभाष स्कूल से पास होकर निकले। आज पुराने दोस्तों के साथ मिलकर स्कूल पहुंचे तो पुराने यादें ताजा हो गई। अब स्कूल से भागकर बेर और इमली तोडऩे के लिए पेड़ों पर चढ़ते थे। स्कूल में बहुत बदलाव हो गया है, पहले कक्ष लंबे होने के साथ ही ब्लैक बोर्ड थे। स्कूल पहुंचे बुजुर्गों को प्राचार्य नरेंद्र मोदी ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि पहले मैदान की तरफ स्कूल के दरवाजे होने से विद्यार्थी पढ़ाई छोड़कर भाग जाते थे, इसलिए स्कूल में बदलाव किया गया। पसिर में लगा इमली का पेड़ में सन 2000 के अंदर अचानक आग लगने से जलकर खाक हो गया।
कादरिया स्कूल को हराकर 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ा
इंजीनियर ओपी चौधरी ने बताया कि स्कूल की हॉकी टीम बनाकर कादरिया स्कूल को हरा कर 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ा था। हॉकी में कादरिया स्कूल हर साल जीत हासिल करती थी। सुभाष स्कूल की हमारी टीम ने जीत हासिल कर यह रिकॉर्ड तोड़ दिया था। एक घंटे तक बुजुर्गाे ने स्कूल का भ्रमण कर पुराने यादों को ताजा किया।स्कूल के शिक्षकों से चर्चा की।
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