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मन्नत पूरी होने पर छोड़ना होगा नाग-नागिन! नदी, कटीले पेड़ और कीचड़ पार कर मिलेगा मंदिर

MP News: बुरहानपुर के उखड़गांव नागदेव मंदिर में ऋषि पंचमी पर हजारों भक्त पहुंचे। परंपरा अनुसार मन्नत पूरी होने पर यहां नाग-नागिन छोड़े जाते हैं और चांदी के छत्र चढ़ाए जाते हैं।

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unique nagdev temple ukhadgaon burhanpur rishi panchami (Patrika.com)

MP News: बुरहानपुर शहर में उखड़गांव नागदेव मंदिर (Nagdev Temple) पर साल में एक दिन यहां भक्तों की भीड़ नजर आती है। यहां पर प्राचीन परंपरा है, जो समाजजन आज भी निर्वाह कर रहे है। ऋषि पंचमी पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है।

मन्नत पूरी होने पर छोड़े जाते है नाग-नागिन

इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर नाग-नागिन का जोड़ा छोड़ा जाता है, कुछ यहां चांदी के छत्र चढ़ाते हैं। बड़ी बात ये है कि यहां पहुंचना आसान नहीं है। दुर्गम और कीचड़ भरे रास्ते से भक्त निकलते हैं। एक ही दिन में यहां 10 हजार के करीब श्रद्धालु पहुंचे।मंदिर से जुड़े अनिल चौधरी ने बताया कि ऐसी मान्यता है जो मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी होने पर भक्त यहां पहुंचते है। श्रद्धालु नाग-नागिन का जोड़ा छोड़ते हैं। मकान बनाने की मन्नत पर चांदी का छत्र चढ़ाते हैं। कोई चांदी का झूला भी चढ़ाता है।

नारियल चढ़ाकर मांगी जाती है मन्नत

श्रद्धालु मिट्टी से बने विशाल नागदेव पिंड के सामने नारियल चढ़ाकर मन्नत मानते है। जब मन्नत पूरी हो जाती है तो वे वापस आकर सांप का जोड़ा छोड़ते है। मंदिर की सेवा भावसार समाज देखता है। सुबह से ही निराहार व्रत रखकर लाल चोला धारण किए पुजारी कैलाश भागवत और अरुण सूर्यवंशी ने सामूहिक प्रार्थना व महाआरती की। श्रद्धालुओं का कहना है कि महाआरती के समय वातावरण इतना आध्यात्मिक हो जाता है कि नागदेव स्वयं विशाल पिंड पर प्रकट होते है।

नदी, कटीले पेड़ और कीचड़ भरी सड़क पार कर मिलेगा मंदिर

मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को उतावली नदी पार करनी पड़ती है। बारिश के मौसम में उतावली नदी का बहाव तेज हो जाता है। इसलिए प्रशासन हर साल सुरक्षा के खास इंतजाम करता है। लेकिन भक्त कीचड़ भरे रास्ते को पार कर यहां पहुंचते है। खास बात यह है कि यहां पर कभी भी किसी भक्त को सर्पदंश जैसी घटना नहीं हुई।

देशभर से पहुंचे श्रद्धालु

इस बार हैदराबाद, अहमदाबाद, सूरत, नागपुर, भोपाल, इंदौर, औरंगाबाद, अमरावती, खंडवा, नेपानगर, रावेर, भुसावल, जलगांव सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर अब सकल पंच गुजराती मोड़ समाज और भवसार समाज के परिवारों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है।