
नई दिल्ली। मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल में पेट्रोल, डीजल और कच्चे तेल पर उत्पाद शुल्क से आयकर से भी ज्यादा कमाई की है। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क से 3.5 गुना तो डीजल से लगभग पांच गुना से ज्यादा की कमाई की है। इस बात का खुलासा सीएनएन-न्यूज 18 के एक विश्लेषण से हुआ है। विश्लेषण से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और ईंधन पर केंद्र सरकार द्वारा एकत्र कर 2014-15 के बाद से तीन गुना से अधिक बढ़ गया है। यहां तक कि इसी अवधि के दौरान कच्चे तेल की कीमत लगभग आधी हो गई है।
2014 में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 9.48 रुपए प्रति लीटर था। वर्तमान में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 32.9 रुपए प्रति लीटर है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक यह बढ़ोतरी लगभग 3.5 गुना है। 2014-15 में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 29,279 करोड़ रुपए था, जो 2020-21 के पहले 10 महीनों में तीन गुना बढ़कर 89,575 करोड़ रुपए हो गया है।
कच्चे तेल की खरीद से बचाए 5 हजार करोड़
2014-15 और 2020-21 के बीच भारतीय कच्चे तेल की औसत कीमत से लगभग आधी 84.16 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 44.82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2005-06 के बाद से भारतीय कच्चे तेल की औसत कीमत 2020-21 में सबसे कम थी। पेट्रोलियम मंत्रालय से प्राप्त डेटा के मुताबिक भारत ने अप्रैल-मई 2020 में 5,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत की। ऐसा सरकार ने दो दशक की कम कीमत पर तेल खरीदकर अपने तीन रणनीतिक भूमिगत कच्चे तेल के भंडारण को भर दिया।
डीजल पर नौ गुना बढ़ा उत्पाद शुल्क
2014 में डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 3.56 रुपए प्रति लीटर था जो 2021 में बढ़कर 31.8 रुपए प्रति लीटर हो गया है। यानि अब उत्पाद शुल्क लगभग नौ गुना अधिक है। पेट्रोल की तरह ही केंद्र सरकार द्वारा डीजल पर एकत्र किए जाने वाले कर में 2014-15 के बाद से लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है। 2014-15 में डीजल पर एकत्रित केंद्रीय उत्पाद शुल्क 42,881 करोड़ रुपए था। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2020-जनवरी 2021 की अवधि के दौरान यह बढ़कर 2.04 लाख करोड़ रुपए हो गया।
वहीं पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस पर एकत्रित कुल केंद्रीय उत्पाद शुल्क में लगभग 4 गुना की वृद्धि हुई है। पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस पर एकत्रित कुल केंद्रीय उत्पाद शुल्क 2014 के बाद से लगभग चार गुना बढ़ गया जब यह 74,158 करोड़ रुपए था। अप्रैल 2020-जनवरी 2021 की अवधि के दौरान यह बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसके अलावा, सकल कुल राजस्व के बजट अनुमानों के प्रतिशत के रूप में पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस पर केंद्रीय करों में 2014-15 से करीब 126 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
Updated on:
13 Jul 2021 11:20 pm
Published on:
13 Jul 2021 11:14 pm
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