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चीन और यूरोप के बीच Tariff War भारत के लिए कैसे है मौका, समझिए फायदे का पूरा गणित

Impact of China EU tariff war on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से चर्चा अब चीन-यूरोप टैरिफ वॉर पर शिफ्ट हो गई है। इस नई वॉर से भारत को फायदा मिल सकता है।

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China EU Tariff War

चीन और यूरोप के बीच टैरिफ वॉर तेज हो गई है। (PC:AI)

China-EU Tariff War: चीन और यूरोप के बीच टैरिफ वॉर तेज हो गई है। यूरोप ने जहां चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल (EV) पर भारी टैरिफ लगाया है। वहीं चीन ने यूरोप के डेयरी उत्पादों पर 42% से ज्यादा नए टैरिफ लगा दिए हैं। दोनों देशों का कहना है कि उन्होंने अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने लिए यह कदम उठाया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में टैरिफ से जुड़ी कुछ और खबरें भी सामने आ सकती हैं।

यूरोप को लगेगा बड़ा झटका

अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा थी, लेकिन अब फोकस चीन-यूरोप पर शिफ्ट हो गया है। बीजिंग ने यूरोप से आने वाले डेयरी उत्पादों पर टैरिफ लगाकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। चीन दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजारों में से एक है। यूरोप के डेयरी उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा चीन जाता है। ऐसे में टैरिफ बढ़ने से यूरोप को बड़ा झटका लगना तय है। यूरोप ने चीन के इस कदम पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जानकारों का मानना है कि अगर चीन और यूरोपीय यूनियन (EU) के बीच टैरिफ वॉर तेज होती है, तो इसका असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी पड़ सकता है।

भारत को मिलेगा फायदा

माना जा रहा है कि चीन और EU के बीच टैरिफ वॉर आने वाले दिनों में चरम पर पहुंच सकती है। यदि ऐसा होता है, तो दोनों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। वहीं, भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भारत को डेयरी और EV, दोनों ही मोर्चों पर फायदे की उम्मीद है। भारत दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में से एक है। इसके बावजूद उसका डेयरी एक्सपोर्ट उसके अनुरूप नहीं है। डेयरीन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले साल 272 मिलियन डॉलर के डेयरी उत्पाद निर्यात किए। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, UAE और श्रीलंका भारत के मुख्य बाजार रहे।

कितना बड़ा है डेयरी बाजार?

चीन को भारत का डेयरी उत्पाद निर्यात बहुत कम है। ऐसे में अगर चीन यूरोपीय देशों से डेयरी आयात को सीमित करता है, तो भारत के लिए मौका बन सकता है। भारत का डेयरी मार्केट 228 अरब डॉलर का है और 2033 तक इसके 687 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। EU चीन को बटर और चीज़ जैसे डेयरी उत्पाद भेजता रहा है। यूरोपीय यूनियन से बटर खरीदने वालों में अमेरिका, यूके के बाद चीन नंबर है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि यूरोप के लिए चीन कितना बड़ा बाजार है। चीन और यूरोप के बीच दूरी से जो जगह खाली होगी, उसे भारत भर सकता है।

EV के मोर्चे पर भी लाभ की आस

डेयरी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल (EV) सेगमेंट में भी भारत को चीन-EU टैरिफ विवाद का फायदा मिल सकता है। जानकारों का मानना है कि यूरोप ने चीन से आने वाले EV पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया है। ऐसे में यूरोप की ऑटो कंपनियां चीन से दूरी बनाकर वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब तलाश सकती हैं और भारत को इसका लाभ मिल सकता है। भारत अपनी नई EV पॉलिसी के दम पर यूरोपीय कंपनियों को आकर्षित कर सकता है।

स्टॉक्स पर भी दिखेगा असर

भारत के डेयरी निर्यातकों में अमूल सबसे बड़ा नाम है। इसके अलावा, हेरिटेज फूड्स, पराग मिल्क फूड्स, नेस्ले इंडिया, मदर डेयरी और श्राइबर डायनामिक्स डेयरीज़ लिमिटेड भी इस सेक्टर में बड़े नाम हैं। अमूल, मदर डेयरी और श्राइबर स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं हैं। वहीं, हेरिटेज फूड्स, पराग मिल्क फूड्स और नेस्ले इंडिया लिस्टेड कंपनियां हैं। अगर भारत को चीन-यूरोप ट्रेड वॉर के चलते डेयरी सेक्टर में फायदा मिलता है, तो शेयर बाजार में इन कंपनियों के प्रदर्शन में भी सुधार की संभावना बनी रहेगी। हेरिटेज फूड्स आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के परिवार से जुड़ी कंपनी है। इसका शेयर प्राइस 463.05 रुपए है। पराग मिल्क फिलहाल 299.50 रुपए और नेस्ले इंडिया 1250 रुपए पर उपलब्ध है।