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GST कटौती से आम आदमी को राहत, सरकार को करोड़ों का घाटा! बैंकिंग सेक्टर पर मंडरा रहा खतरा

GST Impact on Banking Sector: जीएसटी दरों में कटौती से जनता को राहत मिली है, लेकिन इससे सरकार को सालाना 1.2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 20, 2025

CM का दावा- GST 2.0 से हर वर्ग को राहत, ट्रैक्टर 63 हजार तक सस्ते, किसानों को सीधा लाभ...(photo-patrika)

CM का दावा- GST 2.0 से हर वर्ग को राहत, ट्रैक्टर 63 हजार तक सस्ते, किसानों को सीधा लाभ...(photo-patrika)

GST Impact on Banking Sector: केंद्र सरकार की ओर से कई उत्पादों पर वस्तु व सेवा कर (GST) की दरों में कटौती (GST Revenue Loss)भले ही आम लोगों और उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आई हो, लेकिन एक नई रिपोर्ट के मुताबिक इसका देश की अर्थव्यवस्था, खासकर बैंकिंग (Banking Sector Impact) और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर (Infrastructure Funding India)पर असर पड़ सकता है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च (systematics research) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों में की गई कटौती से केंद्र सरकार को हर साल करीब 1.2 ट्रिलियन रुपये (1.2 लाख करोड़ रुपये) का राजस्व नुकसान हो सकता है। जबकि सरकार ने पहले इसका अनुमान लगभग 480 अरब रुपये लगाया था।

कमाई घटेगी तो बहुत नुकसान होगा (RBI Interest Rate Cut)

रिपोर्ट में बताया गया है कि जब सरकार की कमाई घटेगी, तो उसके पास बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) पर खर्च करने की क्षमता भी घटेगी। इसका सीधा असर उन बैंकों पर पड़ेगा, जो ऐसी परियोजनाओं को फंडिंग देते हैं।

बैंकिंग सेक्टर में कम होगी ऋण की मांग

अगर सरकारी खर्च में कटौती होती है तो प्रोजेक्ट्स के लिए लोन की मांग भी घट सकती है। इससे बैंकों को नुकसान होगा, क्योंकि उन्हें पहले से ही ब्याज दरों में कमी और मार्जिन दबाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती

रिपोर्ट में बताया गया है कि RBI ने फरवरी और जून 2025 के बीच रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। इससे बैंकों को लोन सस्ता करना पड़ा, जिससे उनके शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) पर असर पड़ा। अनुमान है कि FY26 की तीसरी तिमाही तक स्थिति कुछ हद तक सुधरेगी, लेकिन यदि और कटौती हुई, तो मार्जिन पर फिर दबाव आ सकता है।

MSME सेक्टर की हालत भी चिंता का विषय

छोटे और मंझोले उद्योगों (MSMEs) की हालत पर भी रिपोर्ट ने चिंता जताई है। अभी तक बैंकों को इस क्षेत्र से कोई बड़ा झटका नहीं लगा है, लेकिन नकदी की तंगी और बिक्री में गिरावट भविष्य में उनकी लोन चुकाने की क्षमता प्रभावित कर सकती है। इससे बैंकिंग सेक्टर की कमाई और मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

नया ECL ढांचा बढ़ा सकता है बैंकिंग की चुनौतियां

आगे चलकर बैंकों को एक और चुनौती का सामना करना पड़ सकता है — RBI की ओर से प्रस्तावित Expected Credit Loss (ECL) मॉडल। फिलहाल बैंक पुराने लोन क्लासिफिकेशन नियमों के आधार पर काम कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें ECL आधारित मॉडल अपनाना होगा। इससे शुरुआत में बैंकों की लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है, हालांकि दीर्घकाल में यह अधिक पारदर्शिता और स्थिरता ला सकता है।

निर्यात पर दोहरे शुल्क का असर

रिपोर्ट में भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को लेकर भी चिंता जताई गई है। मौजूदा समय में उन्हें 25% + 25% जैसे दोहरे टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनकी वैश्विक बाजार में पकड़ कमजोर हो सकती है और अगर निर्यात में गिरावट आती है तो इसका बैंकिंग सेक्टर पर भी असर हो सकता है।

राहत की उम्मीद, लेकिन संतुलन ज़रूरी

बहरहाल जीएसटी में कटौती आम जनता के लिए राहत भरा कदम है, लेकिन इसका आर्थिक संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। यदि राजस्व में गिरावट से सरकारी खर्च घटता है, तो इसका सीधा असर विकास परियोजनाओं, बैंकिंग क्षेत्र और छोटे उद्योगों पर पड़ेगा। सरकार को वित्तीय सुधारों के साथ-साथ स्थिर राजस्व मॉडल की ओर भी ध्यान देना होगा।

(इनपुट: एएनआई.)