
बुधवार से बढ़ा हुआ अमेरिकी टैरिफ लागू हो गया है। (PC: Gemini)
अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर 27 अगस्त यानी आज से 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लागू हो गया है। इससे अमेरिका में भारत के 48.2 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ने वाला है। केंद्र सरकार इस इस बढ़े हुए टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए बहु-आयामी रणनीति पर काम कर रही है। सबसे बड़ी चिंता लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स के लिए है। क्योंकि कपड़ा, झींगा, चमड़ा और जेम्स एंड जूलरी जैसे एक्सपोर्ट के सबसे बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम प्रोडक्ट इस टैरिफ से अभी फ्री हैं। यानी इन सेक्टर्स पर बढ़े हुए टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा।
भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को 86 अरब डॉलर के सामान एक्सपोर्ट किये थे। भारत से अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात में 70 फीसदी हिस्सा लेबर-इंटेंसिव सेक्टर्स से आता है। इनमें कपड़ा, झींगा, चमड़ा और जेम्स एंड जूलरी शामिल हैं। वहीं, 30 फीसदी एक्सपोर्ट इलेक्ट्रोनिक्स, फार्मा और एपीआई से आता है। इस 30 फीसदी हिस्से को बढ़े हुए टैरिफ से छूट मिली हुई है।
निर्यातकों ने बताया कि तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा और परिधान निर्माताओं ने उत्पादन रोक दिया है, क्योंकि वे वियतनाम और बांग्लादेश जैसे कम लागत वाले प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ रहे हैं। टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी मार्केट में कंपटीशन करना अब इनके लिए मुश्किल हो गया है। प्रमुख एक्सपोर्ट्स में चीन, वियतनाम और मैक्सिको कम टैरिफ के चलते भारत की जगह ले सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 में अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट गिरकर 49.6 अरब डॉलर रह सकता है। यह वित्त वर्ष 2025 में 86.5 अरब डॉलर था।
टैरिफ बढ़ने का सबसे बड़ा असर सीफूड इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। भारत के सीफूड एक्सपोर्ट का करीब 40 फीसदी हिस्सा अमेरिका जाता है। इसमें झींगा बड़ी मात्रा में होता है। भारत का सीफूड एक्सपोर्ट करीब 60,000 करोड़ रुपये का है। टैरिफ के चलते इन्वेंट्री में काफी अनसोल्ड स्टॉक पड़ा हुआ है, जिसके खराब होने का डर है। टैरिफ से सप्लाई चेन टूट रही है और किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ से उपजी स्थिति का आकलन करने के लिए उच्चतम स्तर पर बैठकें जारी हैं। हालांकि, अधिकारियों ने किसी भी जवाबी कार्रवाई से इनकार किया है। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार विचार-विमर्श कर रही है और उद्योगों के साथ भी बैठकें हो रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय निर्यातकों को टैरिफ प्रभाव से बचाने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 25,000 करोड़ रुपये के 'निर्यात प्रोत्साहन मिशन' पर काम कर रहा है। इसमें ट्रेड फाइनेंस, रेगुलेशंस, स्टैंडर्ड्स और बाजार पहुंच से संबंधित नॉन-ट्रेड फाइनेंस, 'ब्रांड इंडिया' के लिए बेहतर ब्रांड रिकॉल, ई-कॉमर्स हब एंड वेयरहाउसिंग और व्यापार सुविधा शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) में संशोधन जैसे अन्य प्रस्तावों पर भी विचार कर रही है।
पिछले हफ्ते वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत का अमेरिका के साथ संबंध "बहुत महत्वपूर्ण" है, लेकिन कोई भी सौदा करने में केवल राष्ट्रीय हित ही भारत को प्रेरित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत व्यापार और भू-राजनीति को एक साथ नहीं जोड़ता।
इसके अलावा सरकार जीएसटी फ्रेमवर्क में संशोधन पर विचार कर रही है। गोयल ने कहा कि सरकार इसके माध्यम से फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल जैसे लेबल इंटेंसिव सेक्टर्स का सपोर्ट करने के तरीके निकाल रही है, जिससे घरेलू मांग को बढ़ावा मिल सके।
सरकार एक्सपोर्ट के मामले में डायवर्सिफिकेशन की रणनीति अपना रही है। गोयल ने बताया कि सरकार दूसरे देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। भारत यूरोपीय यूनियन, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन, यूके, गल्फ और ईस्ट एशिया में अपना कारोबार बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
Updated on:
27 Aug 2025 10:23 am
Published on:
27 Aug 2025 10:22 am
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