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Russian oil पर अमेरिका ने कभी लगाया ही नहीं प्रतिबंध, यूरोप खरीदता है सबसे ज्यादा रूसी गैस, फिर भारत क्यों है टार्गेट?

Russian Crude Oil News: अमेरिका ने कभी भी रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। अमेरिका ने सिर्फ एक प्राइस कैप तय की है। भारतीय कंपनियों ने हमेशा इस प्राइस कैप से नीचे ही रूसी तेल खरीदा है।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Aug 02, 2025

Russian crude oil news

भारत ने हमेशा प्राइस कैप से नीचे ही रूसी तेल खरीदा है। (Image: Gemini)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस बात को लेकर खुश हो रहे थे, उस पर एक दिन में ही पानी फिर गया है। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। उन्होंने इस खबर पर खुशी जताई थी। अब आज शनिवार को सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि भारतीय तेल रिफाइनरीज लगातार रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। यानी सिर्फ एक दिन में ही ट्रंप के दावे और उनकी खुशफहमी दोनों की हवा निकल गई है। हाल ही में ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। साथ ही रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते भारत पर जुर्माना लगाने की बात कही है।

अमेरिका ने कभी भी रूसी तेल पर नहीं लगाए प्रतिबंध

अमेरिका भले ही भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए मना करता रहा हो, लेकिन सच तो यह है कि अमेरिका ने कभी रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाए ही नहीं। रूसी तेल आज भी अमेरिका या यूरोपीय यूनियन द्वारा प्रतिबंधित नहीं है। वास्तव में अमेरिका द्वारा ईरान और वेनेजुएला के क्रूड ऑयल पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियां इन दोनों देशों से प्रतिबंधित क्रूड ऑयल नही खरीद रही हैं।

प्राइस कैप से नीचे रूसी तेल खरीदता है भारत

दरअसल यूएस द्वारा रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाया हुआ है। यानी अमेरिका द्वारा तय कीमत से अधिक दाम पर रूस तेल नहीं बेच सकता है। अमेरिका ने रूस के तेल रेवेन्यू को सीमित करने के लिए ऐसा किया है। यह प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल की है। भारतीय कंपनियों ने इस प्राइस कैप को फॉलो करते हुए 60 डॉलर से नीचे की कीमत पर ही रूसी तेल खरीदा है। हाल ही में यूरोपीय यूनियन ने रूसी क्रूड पर 47.6 डॉलर की प्राइस कैप लगाने की अनुशंसा की है। यह सितंबर से लागू हो जाएगी।

यूरोप भर-भर कर खरीद रहा रूसी गैस

अमेरिका और पश्चिमी देश भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए मना तो कर रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि पश्चिमी देश सबसे ज्यादा रूसी गैस खरीद रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि यूरोपीय यूनियन रूसी लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) की सबसे बड़ी आयातक रही है। CREA के आकड़ों के अनुसार, जून 2025 तक यूरोपीय यूनियन ने रूसी एलएनजी एक्सपोर्ट का 51% हिस्सा खरीदा है। इसके बाद चीन (21%) और जापान (18%) आते हैं।

रूसी पाइपलाइन गैस की सबसे बड़ी खरीदार है यूरोपीय यूनियन

पाइपलाइन गैस में भी ईयू रूसी गैस का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। ईयू ने जून 2025 तक रूसी पाइपलाइन गैस निर्यात का 37 फीसदी हिस्सा खरीदा। इसके बाद चीन (30%) और तुर्की (27%) आते हैं।

2% से 40% तक का सफर

भारत ने रूसी तेल खरीदकर कुछ भी नियमों के खिलाफ नहीं किया है। भारत ने हमेशा पश्चिमी देशों द्वारा तय प्राइस कैप से नीचे ही रूसी तेल खरीदा है। फरवरी 2022 से पहले भारत के तेल आयात का सिर्फ 2 फीसदी ही रूस से आता था। इसके बाद से रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है। अब हमारी करीब 40 फीसदी सप्लाई रूस से आती है। भारत ने सस्ता रूसी तेल खरीकर अरबों रुपये बचाए हैं। सिर्फ वित्त वर्ष 2024 में ही भारत ने सस्ता रूसी तेल खरीदकर 25 अरब डॉलर बचाए हैं। रूस के साथ भारत का कुल ट्रेड 65.69 अरब डॉलर का है। इसमें ऑयल ट्रेड का सबसे बड़ा हिस्सा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों का भारत को रूसी तेल खरीदने से मना खरीदना उनके डबल स्टैंडर्ड को दिखाता है।