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Inflation: महंगाई दर 20 साल के निचले स्तर पर, फिर आम आदमी को क्यों नहीं मिली राहत? जानिए आंकड़ों के पीछे का सच

Inflation Rate: भले ही थोक महंगाई घटकर 20 महीने के न्यूनतम स्तर -0.13 फीसदी पर आ गई हो, लेकिन आम आदमी को राहत नहीं है। अभी भी आलू 30-40 रुपए किलो और प्याज 35-40 रुपए किलो में मिल रहे हैं।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Jul 18, 2025

Inflation rate in June

महंगाई दर घटी, लेकिन आम आदमी को नहीं मिली राहत (PC: Pixabay)

इस साल रिटेल और थोक महंगाई दर में लगातार कमी आ रही है। जनवरी में खुदरा महंगाई दर 4.26 फीसदी थी, जो जुलाई में घटकर 6 साल के निचले स्तर 2.10 फीसदी पर आ गई। थोक महंगाई भी जनवरी के 2.31 फीसदी से घटकर 20 महीने के न्यूनतम स्तर -0.13 फीसदी रही। यह सुनकर खुशी के साथ अचरज भी होता है, क्योंकि अगर महंगाई इतनी ज्यादा घट गई है, तो फिर आलू 30-40 रुपए किलो और प्याज 35-40 रुपए किलो में क्यों मिल रहा है। हरी सब्जियों की कीमतें क्यों ज्यादा लग रही हैं। आम आदमी को राहत क्यों नहीं मिल रही?

क्यों आम आदमी को नहीं मिली राहत?

दरअसल, महंगाई की तुलना पिछले साल की अवधि में दर्ज रेट से होती है। यानी जून 2025 में महंगाई की तुलना जून 2024 से होगी। यही पेच है। मान लीजिए जून 2024 में आलू 45 रुपए किलो था, वह जून 2025 में 35-40 रुपए में मिला। जाहिर है कीमत कम हो गई, पर आपकी जेब को इसलिए महसूस नहीं हुई, क्योंकि आलू की कीमतें 45 रुपए भी ज्यादा थी और 40 रुपए भी ज्यादा है।

महंगाई दर घटी, पर महंगाई बढ़ी

जून 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 2.1% रही। इसका मतलब है कि जो सामान पिछले साल के जून में 100 रुपए में मिल रहे थे, वह अब 102.1 रुपए में मिल रहे हैं। हालांकि, जून 2024 में खुदरा महंगाई 5.08% थी। यानी जून 2023 में जो सामान 100 रुपए का था, वह जून 2024 में 105.08 रुपए में मिला। 5% की तुलना में 2% महंगाई दर कम है, लेकिन लेगों की जेब पर पिछले साल के मुकाबले बोझ 2.1% बढ़ गया है।

क्यों महंगाई कम होने का अनुभव नहीं हो रहा?

जून में खाद्य महंगाई दर -1.06% रही। इसका मतलब है कि 100 रुपए की खाने-पीने की चीजें 98.94 रुपए में मिल रही है। पिछले साल की तुलना में खाद्य महंगाई में कमी आई, पर मई 2025 की तुलना में जून में 1.08% की बढ़ोतरी हुई। इसका मतलब है कि जो सामान मई में 97.90 रुपए में मिल रहा था, वह अब 98.94 रुपए में मिल रहा है। इसके अलावा आवास 3.24%, शिक्षा 4.37%, इलाज और दवाइयां 4.43% और यातायात 3.90% महंगा हुआ है।

क्यों बढ़ सकती हैं गेहूं और चावल की कीमतें?

केंद्र सरकार ने ओपन मार्केट स्कीम के तहत खुले बाजार में बेचे जाने वाले गेहूं और चावल के आरक्षित मूल्य में वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2024-25 की तुलना में गेहूं का मूल्य लगभग 11% और चावल का मूल्य 3% बढ़ाया गया है। यह योजना मुख्य रूप से बाजार में अनाज की आपूर्ति बढ़ाने और खाद्य महंगाई पर नियंत्रण के उद्देश्य से चलाई जाती है। नई दरें ई-नीलामी के माध्यम से निजी व्यापारियों, सहकारी संस्थाओं और राज्य सरकारों को बिक्री के लिए लागू की गई हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है यह बढ़ोतरी?

महंगाई पर असर: जब व्यापारी अधिक मूल्य पर अनाज खरीदते हैं तो वे इसका भार उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं, जिससे थोक और खुदरा बाजारों में गेहूं-चावल महंगे हो सकते हैं।

सरकार की लागत वसूली: सरकार ने हाल ही में गेहूं और धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की थी। आरक्षित मूल्य बढ़ाकर सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि वह अपनी लागत वसूल सके और अनाज घाटे में न बेचना पड़े।

कितनी बढ़ाई गई कीमत

गेहूं: अब इसका आरक्षित मूल्य 2,550 प्रति क्विंटल होगा, जो कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के 2,300 प्रति क्विंटल की तुलना में 10.86% अधिक है।

चावल: 25% टूटा हुआ चावल का नया मूल्य 2,890 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो वर्तमान 2,800 रुपए से 3.21% अधिक है। एथेनॉल डिस्टिलरियों के लिए आरक्षित मूल्य 2,250 से बढ़ाकर 2,320 रुपए किया गया है। कस्टम मिल्ड चावल (10% टूटा हुआ) का मूल्य बढ़ाकर 3,090 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

मोटा अनाज: बाजरा का आरक्षित मूल्य 2,775 रुपए, रागी का 4,886 रुपए, ज्वार का 3,749 रुपए और मक्के का 2,400 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।