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Indiabulls मामले में CBI के ‘दोस्ताना’ रवैये पर सुप्रीम कोर्ट हैरान! अब SIT कर सकती है जांच

Indiabulls Probe: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस यू भुयान और जस्टिस एन के सिंह की पीठ ने इंडियाबुल्स मामले में सीबीआई के रवैये पर सवाल उठाए हैं। पीठ ने कहा कि उन्होंने ऐसा रवैया कभी नहीं देखा।

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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (IHFL) के वित्तीय लेनदेन में गंभीर अनियमितताओं की जांच में CBI के "दोस्ताना और ठंडे" रवैये पर जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटर सेबी और ईडी की ओर से चिन्हित गवर्नेंस से जुड़ी अवैधताओं को बंद करने के कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के फैसले पर भी सवाल उठाया है।

पीठ ने कहा- ऐसा रवैया कभी नहीं देखा

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस यू भुयान और जस्टिस एन के सिंह की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने सार्वजनिक धन के दुरुपयोग या गबन की जांच में ऐसा रवैया पहले कभी नहीं देखा। पीठ का बयान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी द्वारा यह कहने के बाद आया कि मौजूदा समूह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का एक भी आरोप नहीं है। हालांकि, बेंच ने साफ किया कि कोर्ट ने न तो आरोपों पर कोई राय दी है और न ही मौजूदा कंपनी सम्मान कैपिटल पर कोई टिप्पणी की है।

गहन जांच में लोगों की भलाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोन राशि के गोल-मोल लेन-देन के बारे में संदेह पैदा करने वाले आरोपों की गहन जांच में लोगों की भलाई है। अगर आरोपों का एक छोटा सा हिस्सा भी पहली नजर में सही निकला तो FIR दर्ज करना और गहन जांच करना जरूरी है।

ईडी ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू के जरिए शिकायत की है कि निदेशालय ने इस बारे में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को एक शिकायत भेजी थी, जिसने एक चिट्ठी के जरिए IHFL के खिलाफ शिकायतों को बंद करने की सूचना दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि आरोपों के पीछे कोई तथ्य नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के एक वरिष्ठ अधिकारी को दस्तावेजों के साथ नियुक्त करें, ताकि जांच बंद करने से पहले की गई जांच की प्रकृति के बारे में कोर्ट को अवगत कराया जा सके।

'2 हफ्ते में बुलाएं वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक'

कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर ईडी, SFIO और सेबी के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक बुलाएं, जिसमें जांच की रूपरेखा तैयार की जाए और यह भी तय किया जाए कि अनियमितताओं की जांच के लिए SIT के गठन की जरूरत है या नहीं।

3 हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई

NGO सिटिजन्स व्हिसलब्लोअर फॉरम ने दावा किया है कि इन अनियमितताओं में IHFL, रिलायंस ADAG, चोर्डिया समूह और राणा कपूर परिवार समूह शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है।