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पढ़ाई में अच्छे नहीं थे नितिन और निखिल कामत, मां रहती थीं परेशान.. जानिए Zerodha के फाउंडर्स के बचपन की कहानी

Nikhil and Nithin Kamath Success Story: नितिन और निखिल कामत दूसरे बच्चों की तुलना में पढ़ाई में पीछे थे। इसलिए उनकी मां परेशान रहती थीं। यहां तक की उनकी मां की परवरिश पर भी सवाल उठे थे।

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Nikhil and Nithin Kamath

नितिन और निखिल कामत जेरोधा के फाउंडर्स हैं।

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जेरोधा (Zerodha) के फाउंडर कौन हैं? यह सवाल आज के समय में किसी मजाक से कम नहीं है, क्योंकि नितिन और निखिल कामत (Nikhil and Nithin Kamath) की सफलता से सभी परिचित हैं। हालांकि, उन्हें सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाने में किसका सबसे बड़ा हाथ है, इसका जवाब आज भी अधिकांश लोगों को नहीं पता। नितिन और निखिल पढ़ाई में खास अच्छे नहीं थे। जबकि परिवार के दूसरे बच्चे बहुत अच्छा कर रहे थे। इस वजह से दोनों भाइयों पर काफी दबाव रहता था। उस समय नितिन और निखिल की मां ने उन्हें संभाला और बच्चों को सही रास्ते पर ले गईं। आज दोनों भाइयों की सफलता के किस्से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक गूंज रहे हैं।

बच्चों को निराशा से दूर रखा

रेडियो जॉकी (RJ) रेपिड रश्मि से बातचीत में नितिन और निखिल की मां रेवती कामत (Revathi Kamath) ने बीते दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि जहां परिवार के दूसरे बच्चे डॉक्टर-इंजीनियर बनने की तैयारी कर रहे थे। वहीं, नितिन और निखिल को पढ़ाई में संघर्ष करना पड़ता था। वह दूसरे बच्चों से पीछे थे और एक मां के रूप में यह बात मुझे भी बहुत परेशान करती थी। लेकिन मैंने कभी भी इस निराशा को अपने बच्चों पर हावी नहीं होने दिया। इसके बजाए मैंने उनकी क्षमताओं को तलाशने में खुद को पूरी तरह झोंक दिया। शतरंज से लेकर क्रिकेट तक, हर क्लास में उनका नाम लिखवाया। इस उम्मीद में कि किसी न किसी में उनकी रुचि एवं प्रतिभा उजागर होगी।

परवरिश पर भी उठे थे सवाल

नितिन और निखिल की कमजोर पढ़ाई के लिए रेवती कामत को ताने और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। रिश्तेदारों ने उनकी परवरिश पर भी सवाल उठाए, मगर उन्होंने अपने इस दुख को कभी बच्चों पर जाहिर नहीं किया। उन्होंने कभी अपने बेटों की तुलना दूसरों से नहीं की और न ही उन पर कोई दबाव डाला। इसके बजाए वह लगातार उन्हें प्रोत्साहित करती रहीं, ताकि वे अपनी शक्तियों को पहचानकर खुद अपनी पहचान बना सकें।

बच्चों की ज्यादा प्रशंसा खतरनाक

आधुनिक पैरेंटिंग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए रेवती कामत ने कहा कि बच्चों की हद से ज्यादा और लगातार प्रशंसा उन्हें अहंकारी बना सकती है। साथ ही उनकी सीखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए पैरेंट्स को इससे बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिंदगी में केवल अच्छे मार्क्स लाना ही सबकुछ नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को संतुलित रहना और जीवन की असली जरूरतों को पहचानना सिखाएं। हमेशा यह ध्यान रखें कि प्रशंसा उनके विकास को प्रभावित न करे।

इंट्रोवर्ट से बिजनेसवुमन तक

रेवती कामत ने अपने संघर्षों के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि ऐसे दो बच्चों को पालना जिन्हें पढ़ाई में खास रुचि नहीं थी और इस वजह से लगातार रिश्तेदारों की आलोचना सुनना, कितना कठिन था। रेवती शुरुआत में इंट्रोवर्ट यानी कि अंतर्मुखी थीं। वह घर से कम ही बाहर निकलतीं थीं और अपनी शक्ल-सूरत एवं कथित खामियों को लेकर लोगों के ताने सुनती थीं। लेकिन इन सबसे लड़ते हुए उन्होंने जब अपना कारोबार शुरू किया, तो सबकुछ बदल गया। रेवती ने महज 500 रुपए के साथ फूलों का बिजनेस शुरू किया, जो बाद में एक इवेंट कंपनी - Calyx Landscaping & Organic Farming में बदल गया।

ऐसे भरा बच्चों में आत्मविश्वास

उन्होंने बताया कि उनके पति बैंक में काम करते थे और बेटों के शुरुआती वेंचर में उन्होंने बहुत सहयोग किया। रेवती कामत ने कहा कि उन्होंने बच्चों की इस तरह परवरिश की, कि वे आगे चलकर आत्मविश्वास के साथ जोखिम उठा सकें। रेवती का मानना है कि बच्चों के विकास में एक मां की भूमिका बेहद अहम होती है। वो मां ही होती है, जो बच्चों को तमाम मुश्किलों के बावजूद आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने आगे कहा- मैंने अपने बच्चों को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे दूसरों से कमतर हैं। मैंने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, उन्हें जिंदगी का असली मतलब समझाया। मैंने डिग्रियों की परंपरागत अपेक्षा और सुरक्षित करियर की सीमाओं से उन्हें मुक्त रखा और आज वे ऊंची उड़ान भर रहे हैं।