खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल ईपीएफओ के मुताबिक जानलेवा बीमारियों में कई बार मरीज की जान बचाने के लिए आपात स्थिति में उसे अस्पताल में भर्ती कराना होता है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में होने वाले खर्च का अनुमान लगाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए अनुमानित खर्च बताने की जरूरत इस स्थिति में नहीं होगी।
केंद्रीय कर्मचारियों पर भी होगा लागू ईपीएफओ की ओर से जारी ताजा सर्कुलर में बताया गया है कि यह एडवांस सेंट्रल सर्विसेज मेडिकल अटेंडेंट (सीएसएमए ) नियमों के तहत आने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना ( सीजीएचएस ) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों पर भी लागू होता है।
कहां होना चाहिए भर्ती वैसे तो मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती होना चाहिए। यदि किसी आपात स्थिति के कारण रोगी को किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो वे विभागीय प्राधिकारी से अपील कर सकते हैं कि वे अपने इस मामले को नियमों में छूट दें। ताकि मेडिकल बिलों की अदायगी की जा सके। ऐसे में निजी अस्पतालों को भी एडवांस दिया जा सकता है। इसके बाद कर्मचारी या परिवार के किसी सदस्य को एडवांस का क्लेम करने के लिए रोगी की तरफ से एक लेटर पेश करना होगा।
अस्पताल के खाते में आएगा पैसा ईपीएफओ के अधिकारी 1 लाख रुपए रोगी या परिवार के सदस्य को दे सकता है या ट्रीटमेंट प्रोसेस शुरू करने के लिए सीधे अस्पताल के खातों में भी ये रकम जमा की जा सकती है। यह एडवांस उसी वर्किंग डे पर तुरंत दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा न हो तो आवेदन प्राप्त होने के बाद अगले वर्किंग डे पर पैसा दिया जाएगा। ईपीएफओ की निकासी के नियमों के दायरे में आने पर खर्च 1 लाख रुपए से अधिक भी एडवांस मिल सकता है। अस्पताल से छुट्टी के बाद कर्मचारी या परिवार के किसी सदस्य द्वारा 45 दिनों के भीतर अस्पताल के बिल जमा कराने होंगे।