RBI new gold loan rules: भारत के केंद्रीय बैंक यानि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में गोल्ड लोन ( Gold Loan) पर नए नियम लागू किए हैं। इन दिशा-निर्देशों से ऋण देने वाली कंपनियों को अपनी लोन प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने होंगे। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बुधवार को एक नोट में कहा कि भारत के केंद्रीय बैंक के नए नियमों से तेजी से बढ़ते गोल्ड लोन बाजार में ऋणदाताओं को अपनी अंडरराइटिंग परंपराओं में बदलाव करना होगा और निकट अवधि में उच्च लागत के लिए तैयार रहना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के इस महीने की शुरुआत में जारी किए गए गोल्ड सपोर्टेड लोन पर अंतिम दिशा-निर्देशों में नकदी प्रवाह-आधारित ऋण आकलन और ऋण-से-मूल्य ( Gold loan LTV guidelines) अनुपात की सख्त निगरानी को अनिवार्य किया गया है।
एसएंडपी ने कहा कि इन परिवर्तनों का सबसे अधिक प्रभाव गैर-बैंक ऋणदाताओं पर पड़ेगा, जो स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो पर अत्यधिक निर्भर हैं। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट विश्लेषक शिनॉय वर्गीस के अनुसार, "पहला यह है कि वित्त कंपनियों को उधारकर्ता की ऋण-योग्यता के नकदी प्रवाह-आधारित मूल्यांकन में बदलाव के कारण अग्रिम लागतों का सामना करना पड़ता है।" मसलन S&P की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुथूट और मणप्पुरम जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा बदलाव झेलने होंगे।
नए नियमों का पालन करने के लिए ऋणदाताओं के पास 1 अप्रेल, 2026 तक का समय है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि नियम उपभोग उधार के लिए छोटी अवधि के ऋण की पेशकश में अधिक लचीलापन देते हैं, लेकिन एलटीवी गणना में ब्याज दरों को शामिल करने से उधारकर्ताओं को वास्तविक वितरण कम हो सकता है।
एसएंडपी ने कहा कि मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसे गोल्ड-लोन विशेषज्ञों को सबसे ज़्यादा समायोजन का सामना करना पड़ सकता है। इसने यह भी चेतावनी दी कि जैसे-जैसे ऋणदाता अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को बढ़ा रहे हैं और नए ऋण ढांचे की तलाश कर रहे हैं, यह क्षेत्र सोने की कीमतों में तेज गिरावट के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि इन नए नियमों का सबसे ज्यादा असर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC gold loan impact) पर पड़ेगा, जो गोल्ड लोन पर अधिक निर्भर रहती हैं। मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियों को अपने सिस्टम में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।
नकदी प्रवाह आधारित ऋण मूल्यांकन अनिवार्य किया गया है।
एलटीवी (Loan to Value) अनुपात की सख्त निगरानी की जाएगी।
ब्याज दर को भी अब एलटीवी कैलकुलेशन में जोड़ा जाएगा।
इन नियमों के तहत ऋणदाताओं को शुरुआत में अधिक लागत और प्रक्रिया बदलाव झेलने पड़ सकते हैं, लेकिन इससे उन्हें उधारकर्ताओं की ऋण योग्यता बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। लंबी अवधि में क्रेडिट रिस्क घटेगा और गोल्ड लोन सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
ऋणदाताओं को इन नियमों को लागू करने के लिए 1 अप्रैल 2026 तक का समय दिया गया है। यानि कंपनियों के पास तैयारी का पूरा वक्त है।
S&P ने चेतावनी दी है कि अगर सोने की कीमतों में तेज गिरावट आती है, तो इस सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है। नए ढांचे में लचीलापन तो है, लेकिन जोखिम भी बढ़े हैं।
( इनपुट क्रेडिट: एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स व आरबीआई अधिसूचना। )
Updated on:
19 Jun 2025 08:50 pm
Published on:
19 Jun 2025 08:34 pm