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सीजफायर के ऐलान के बाद शेयर मार्केट में तेजी, सेंसेक्स में जबरदस्त उछाल, अडानी के शेयर बने रॉकेट

भारतीय शेयर बाजार आज मंगलवार को जबरदस्त बढ़त लेकर खुला है। साथ ही शुरुआती कारोबार में भी अच्छी-खासी तेजी देखने को मिल रही है। सेंसेक्स आज 638 अंक की बढ़त के साथ 82,534.61 पर खुला।

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Share Market (Photo: IANS)

Share Market (Photo: IANS)

अमेरिका (America) के सीजफायर के ऐलान के बाद शेयर मार्केट (Share Market) में तेजी देखी जा रही है। भारतीय शेयर बाजार आज मंगलवार को जबरदस्त बढ़त लेकर खुला है। साथ ही शुरुआती कारोबार में भी अच्छी-खासी तेजी देखने को मिल रही है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स आज 638 अंक की बढ़त के साथ 82,534.61 पर खुला। शुरुआती कारोबार में भारी खरीदारी के चलते यह 900 अंक की बढ़त लेकर अधिकतम 82,835 अंक तक गया। उधर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी शुरुआती कारोबार में 0.95 फीसदी या 236 अंक की बढ़त के साथ 25,201 पर ट्रेड करता दिखाई दिया।

अडानी का शेयर बना रॉकेट

कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन अडानी ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। अडानी ग्रुप के अडानी पोर्ट एंड स्पेशल में 3.5 फीसदी का उछाला आया। इंडियो की स्वामित्व कंपनी इंटरग्लोबल एविएशन भी टॉप गेनर्स में है।

यह भी पढे़ं: ट्रंप के सीजफायर के ऐलान के बाद ईरान का बयान, पहले हमले रोके इजरायल

शेयर मार्केट में तेजी के कारण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर कहा कि इजरायल और ईरान एक अस्थायी युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 12 घंटे के लिए पूर्ण और समग्र युद्ध विराम होगा, जिसके बाद युद्ध समाप्त माना जाएगा। जिसके बाद बाजार में रौनक लौटी।

आज कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है। कच्चे तेल की कीमत संघर्ष से पहले के स्तर पर आ गई हैं। जिस दिन संघर्ष शुरू हुआ था वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 69.39 डॉलर था, जोकि बीते कल यानी सोमवार को 79.40 डॉलर प्रतिबैरल तक पहुंच गया। अब आज यानी मंगलवार को प्रतिबैरल कीमत 67.42 डॉलर के नीचले स्तर पर आ गया।

भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के कारण रुपया कमजोर हो रहा है। ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को रोकने की धमकी ने रुपया पर दवाब डाला। युद्धविराम की घोषणा के कारण डॉलर सूचकांक में गिरावट का अनुमान जताया जा रहा है, संभावना है कि रुपया अपनी कमजोरी को दूर कर सकती है। विदेशी इक्विटी प्रवाह में और वृद्धि होगी।