
इस राज्य में उगता है हजारों साल पुरानी किस्म का गेहूं, डायबिटीज मरीजों के लिए है बहुत फायदेमंद
(चंडीगढ): पंजाब में दो हजार साल पुरानी गेहूं की किस्म सोना-मोती अपना बुआई का क्षेत्रफल बढा रही है। वैज्ञानिकों की राय में यह किस्म बेसहारा लोगों के लिए स्थापित आश्रय गृह में अब तक सुरक्षित रही है और अभी 800 एकड में इसकी बुआई की जा रही है।
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आश्रय गृह अमृतसर के निकट पिगलवाडा में स्थित है। आश्रय गृह में इस गेहूं का प्रसाद वितरित किया जाता है। जलवायु के प्रभाव को बर्दाश्त करने में सक्षम गेहूं की इस किस्म की खेती जलालाबाद में करीब 800 एकड में की जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने वहां प्रसाद के रूप में बांटे जाने वाले इस किस्म के गेहूं की पहचान कर ली। ऐसा अनुमान है कि गेहूं की इस किस्म की उत्पत्ति मोहनजोदडो के निकट हुई। परम्परा के रूप में पिंगलवाडा में इसकी खेती की जा रही है।
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कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की इस पुरातन देशी किस्म पर परीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला कि बगैर कीटनाशक और रासायनिक खाद के इसकी पैदावार की जा सकती है। इस गेहूं की पैदावार प्रति एकड 12 से 15 क्विंटल होती है जबकि अन्य किस्म का गेहूं प्रति एकड 15 से 20 क्विंटल होता है। इस किस्म में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व कम होने के कारण डायबिटीज पीडितों में इसकी मांग बहुत है।
Updated on:
08 Dec 2019 09:42 pm
Published on:
08 Dec 2019 09:40 pm
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