यह भी पढ़ें पंजाब के सभी जि़लों में एक रात मुख्य सड़क पर होगा महिलाओं का राज ऐसे खुला रिश्वत का खेल संगरूर के रहने वाले जगदीप सिंह ने 27 जनवरी, 2020 को अपना पासपोर्ट नवीनीकृत कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। जब पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ तो उसने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में सहायक अधीक्षक राजीव खेतरपाल (निवासी मोहाली, चंडीगढ़) से संपर्क किया। जगदीप से अधिकारी ने 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। यह भी कहा कि अगर पैसे नहीं देगा तो पासपोर्ट अस्वीकृत कर देगा। राजीव खेतरपाल ने 30 हजार रुपये लेकर बुलाया और दलाल बलविन्दर सिंह (निवासी नया गांव, चंडीगढ़) से संपर्क करने के लिए कहा। रिश्वत बलविन्दर सिंह को देनी थी। उसी के माध्यम से राजीव खेतरपाल रिश्वत लेकर काम काम करता है। जगदीप सिंह ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से संपर्क किया। सीबीआई ने तत्काल कार्रवाई की। सीबीआई टीम ने बलविन्दर सिंह को पैसे लेने के बाद गिरफ्तार कर लिया। उसी ने जानकारी दी कि रिश्वत में से बड़ा हिस्सा राजीव खेतरपाल को जाना था। इसके बाद सीबीआई ने राजीव को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई टीम राजीव खेतरपाल के घर पहुंची। उसके घर से संपत्तियों में निवेश के दस्तावेज और आभूषण बरामद हुए हैं। सीबीआई आय के स्रोत के बारे में भी पता कर रही है।
यह भी पढ़ें आखिर कैसी है सुखना झील जिसे बचाने के लिए दो सरकारों पर हुआ है 200 करोड़ का जुर्माना कैसे होता है रिश्वत का खेल पासपोर्ट कार्यालय में रिश्वत का खेल खूब होता है। यहां दलालों का पूरा जाल बिछा हुआ है। नियम है कि पासपोर्ट कार्यालय की 100 मीटर की परिधि में कोई भी दलाल अपना कार्यालय नहीं खोल सकता है। जैसे ही कोई व्यक्ति पासपोर्ट कार्यालय में आता है, दलाल पीछे लग जाते हैं। वे स्वयं आवेदनपत्र भरते हैं और निश्चित अवधि में काम कराने की गारंटी लेते हैं। इसके बदले रिश्वत ली जाती है। दलालों की सबसे अहम कड़ी है सहायक अधीक्षक राजीव खेतरपाल।