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उमा के सत्ता के सिंहासन और राजनीतिक वनवास का गवाह है बड़ा मलहरा

- उमा भारती के हुबली केस से बदल गए थे प्रदेश के राजनीतिक समीकरण- बड़ामलहरा से सीएम उम्मीदवार के रुप में उमा भारती ने लड़ा था वर्ष 2003 का चुनाव- 2006 में हुए उपचुनाव में सीपीआइ के विधायक रहे कपूरचंद्र घुवारा भाजपा के टिकट से जीते

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छतरपुर. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के निर्वाचन क्षेत्र के चलते बड़ा मलहरा सीट प्रदेश की हाइप्रोफाइल सीटों में से एक हो गई थी। लेकिन उनपर कर्नाटक के हुबली में दर्ज मुकदमे ने पूरी फिजा ही बदल गई। प्रदेश के सत्ता के सिंहासन तक उमा के पहुंचने और राजनीतिक वनवास का बड़ा मलहरा गवाह बना। उनके मुख्यमंत्री का पद छोड़ते ही यह सीट पीछे छूट गई। बाद में उन्होंने विधानसभा से भी त्यागपत्र दे दिया और 2006 में उपचुनाव कराना पड़ा। दरअसल 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उमा भारती को प्रदेश का नेतृत्व सौंप दिया था। जिन्होंने ताबड़तोड़ दौरे कर पूरी राजनीति बदल दी। उन्होंने खुद के लिए लोधी बाहुल्य सीट बड़ा मलहरा का चयन किया। एकतरफा मुकाबले में भारती ने बड़ी जीत दर्ज की। लेकिन मुख्यमंत्री का क्षेत्र होने का बड़ा मलहरा का गौरव बहुत दिनों तक नहीं टिक पाया। तिरंगा यात्रा को लेकर हुबली में उनके खिलाफ दर्ज मामले का वारंट रद्द कराने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और गिरफ्तारी देने पहुंच गईं। तब इसे त्याग बताया गया लेकिन दुबारा उनकी वापसी कठिन होती गई। अंतत: बगावत के चलते उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। तब उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।

घुवारा को भाजपा ने उतारा
बड़ामलहरा में अबतक 14 बार आम चुनाव और दो बार उपचुनाव हो चुके हैं। यह तीसरा मौका है जब उपचुनाव की नौबत आई है। तिंरगा यात्रा मामले में 21 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री का पद छोडऩे और फिर विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद बड़ामलहरा सीट पर 2006 में उपचुनाव हुए, जिसमें वर्ष 1980 में सीपीआइ से बड़ामलहरा विधायक रहे कपूरचंद्र घुवारा भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। ।

उमा ने बनाई भारतीय जनशक्ति पार्टी
उमा को वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया था, उनके खिलाफ़ अनुशासनहीनता के आरोप में यह कार्रवाई की गई थी। तिरंगा यात्रा मामला सुलझने के बाद मध्यप्रदेश में वापसी की राह देख रही उमा भारती मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री परिवर्तन के पार्टी के फैसले से नाराज हो गईं। उन्होंने भोपाल में विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था और उनके समर्थकों ने पार्टी कार्यालय के बाहर तोडफ़ोड़ की थी। इधर केन्द्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में आड़वाणी से भी उमा उलझ गई और फिर केदारनाथ यात्रा चली गई। वहीं से लौटी तो उमा भारती ने वर्ष 2006 में भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई। वर्ष 2008 में उमा भारती की पार्टी ने प्रदेश की 216 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे महज पांच पर ही जीत मिली।

बड़ामलहरा सीट पर उमा का रहा है प्रभाव
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में जहां भारतीय जनशक्ति पार्टी की अध्यक्ष उमा भारती भले ही खुद टीमकगढ़ से चुनाव हार गई, वहीं, दूसरी ओर उमा भारती के प्रभाव वाली पिछड़ा वर्ग बाहुल्य बड़ामलहरा सीट से उनकी पार्टी की उम्मीदवार रेखा यादव चुनाव जीत गई। रेखा यादव 28.64 प्रतिशत मत पाकर विजयी रही, वहीं कांग्रेस की मंजूला शील डेवडिया 21.94 प्रतिशत मत के साथ दूसरे और भाजपा के उम्मीदवार कपूर चंद्र घुवारा 15.43 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। जबकि वर्ष 2006 में उमा के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कपूरचंद्र घुवारा उमा के समर्थन के चलते चुनाव जीत गए थे। लेकिन 2008 के चुनाव में उमा की ओर से रेखा यादव उम्मीदवार थी, जिन्हें चुनाव में सफलता मिली।