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SDM JYOTI MAURYA : यूपी एसडीएम ज्योति मौर्य को प्रियंका का करारा जबाव, पति को गोद में उठाकर घूम रही दफ्तर-दफ्तर, देखें वीडियो

SDM JYOTI MAURYA : SDM ज्योति मौर्य से ठीक उल्टा है प्रियंका आदिवासी का ये मामला...दिव्यांग पति को गोद में उठाकर प्रियंका सालों से काट रही सरकारी दफ्तरों के चक्कर..वजह जानकर रह जाएंगे हैरान...पढ़िए प्रियंका के संघर्ष की दर्दभरी दास्तां...

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SDM JYOTI MAURYA : यूपी की SDM की ज्योति मौर्य की चर्चाएं तो इन दिनों सोशल मीडिया पर जोरों पर हैं। एसडीएम ज्योति मौर्य को लेकर हर कोई अपनी अपनी राय शेयर कर रहा है लेकिन इसी बीच छतरपुर की प्रियंका नाम की महिला की जो दर्दभरी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं वो सीधे ज्योति मौर्य को प्रियंका का करारा जवाब कही जा सकती है। क्योंकि एक तरफ जिस तरह से ज्योति मौर्य पर एसडीएम बनने के बाद पति को छोड़ने के आरोप लग रहे हैं वहीं दूसरी तरफ प्रियंका अपने दिव्यांग पति को नौकरी दिलाने के लिए गोद में उठाकर सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रही है। तो चलिए आपको बताते हैं प्रियंका की पूरी दर्दभरी कहानी...

प्रियंका आदिवासी की दर्दभरी कहानी
'मैं ज्योति मौर्य नहीं बल्कि प्रियंका आदिवासी हूं...' जी हां प्रियंका आदिवासी एक सामान्य परिवार की वो महिला जो शादी के बाद से ही अपने पति अंशुल को अपना सबकुछ मानती है। प्रियंका जब अंशुल से शादी कर ससुराल आई तो परिवार की हालत ठीक थी। हंसते खेलते परिवार में सास व चार ननद थीं। सास सरकारी टीचर थीं और उन्हीं की सैलरी से परिवार चलता था। जिंदगी अच्छी चल रही थी, एक एक कर दो ननद की शादी भी हो गई लेकिन दो ननद अभी भी कुंवारी हैं। लेकिन इसके बाद मानो परिवार को किसी की नजर लग गई। 2015 में सास का देहांत हो गया। पति अंशुल ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाए लेकिन कोई हल नहीं निकला। परिवार पर दुखों का पहाड़ उस वक्त और टूटा जब साल 2019 में पति अंशुल का एक्सीडेंट हो गया और वो दोनों पैरों से दिव्यांग हो गया।

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'प्रियंका ज्योति मौर्य नहीं...'
पति अंशुल के एक्सीडेंट के बाद परिवार की हालत दिन ब दिन बिगड़ती गई और अब नौबत ऐसी आ गई है कि खाने के भी लाले पड़े हुए हैं। पति अंशुल कहते हैं कि वो खुद से पानी तक उठाकर नहीं पी सकते। पत्नी प्रियंका उसका पूरा ख्याल रखती है। बच्चों की तरह गोद में उठाकर अनुकंपा नियुक्ति के लिए सालों से दफ्तर-दफ्तर चक्कर लगा रही है। लेकिन कहीं पर भी कोई फरियाद नहीं सुन रहा। वो ज्योति मौर्य की तरह नहीं है जो पति का साथ छोड़ दे। हर दिन कई बार मुझे गोद में उठाकर लाती है और दफ्तरों में फरियाद लगाते हैं लेकिन किसी को हम पर तरस नहीं आ रहा है। जितनी मेरी योग्यता है उस हिसाब से मुझे अनुकंपा नियुक्ति दे दें जिससे परिवार का पालन पोषण हो सके। दो बहनों की शादी कर सकूं, कोई तो मेरी फरियाद सुन ले।

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ज्योति मौर्य पर चर्चा होगी पर प्रियंका की फरियाद पर नहीं !
पति को गोद में उठाकर गोद में उठाकर दफ्तरों के चक्कर लगाने वाली प्रियंका का कहना है कि साल 2019 से लेकर अब तक वो भोपाल से लेकर छतरपुर के सभी अधिकारियों के चक्कर लगा चुकी है। हर मंगलवार को 50 किमी. का सफर तक पति को गोद में उठाकर सरकारी दफ्तरों की सीढ़ियां चढ़ती उतरती है लेकिन अभी तक किसी का दिल नहीं पसीजा है। पिछले कई दिनों से छतरपुर के जिला कलेक्टर की चौखट में मंगलवार की जनसुनवाई में हाजरी लगाती चली आ रही है, मगर बार-बार निराशा ही हाथ लगती है।

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प्रियंका की फरियाद पर ये बोले कलेक्टर
छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर का कहना है कि जहां भी पद रिक्त हैं, वहां पर कैंप लगाकर प्राथमिकता से और संवेदनशीलता से छतरपुर जिले में कार्रवाई हुई है। जो भी पद रिक्त थे, उन पर नियुक्तियां की गई हैं। प्रियंका और अंशुल को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि जहां पर नियुक्तियां नहीं है, वहां पर इस तरीके की दिक्कत होगी।

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