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Brave soldier: बचपन से ही जुनूनी थे अमित ठेंगे, खाई गोली, दो आतंकवादी किए ढेर

अंतिम विदाई देने उमड़ा था जनसैलाब

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Brave soldier: बचपन से ही जुनूनी थे अमित ठेंगे, खाई गोली, दो आतंकवादी किए ढेर

Brave soldier: बचपन से ही जुनूनी थे अमित ठेंगे, खाई गोली, दो आतंकवादी किए ढेर


छिंदवाड़ा. जिले की माटी के लाल शहीद बलिदानी मेजर अमित ठेंगे की गाथा जिले में सदियों तक गूंजती रहेगी। 13 जुलाई 2010 के दिन ही वे दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। बताया जाता है कि छिंदवाड़ा में उनको अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा था। ऐसी विदाई आज तक किसी ने नहीं देखी। आसपास के जिले के हजारों लोग पहुंचे थे। शहर में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। गुलाबरा में शक्तिनगर रोड पर अमित ठेंगे का निवास है। छोटे भाई आशीष ठेंगे ने बताया कि अमित का जन्म 19 अप्रेल 1982 को हुआ। उन्हें बचपन से ही देश सेवा का जुनून था। विद्या निकेतन में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने पश्चात उत्कृष्ट विद्यालय में 12वीं तक गणित संकाय में पढ़ाई की। भोपाल से बीटेक करने के बाद बैंगलौर में साफ्टवेयर कंपनी में नौकरी करने लगे। हाालंकि देश सेवा का जूनून उनमें कायम था। आर्मी में जाने के लिए प्रयास कर रहे थे। अंतत: वर्ष 2006 में सफलता मिल गई और वे लेफ्टीनेंट बन गए। वर्ष 2010 में वह जम्मू कश्मीर के पूंज जिले में तैनात थे। 13 जुलाई 2010 को रेजीमेंट को सूचना मिली की आतंकवादी क्षेत्र के घने जंगल में छिपे हुए हैं। इसके बाद टीम निकल पड़ी। मेजर अमित ठेंगे लीड कर रहे थे। शाम के लगभग 6 बजे जंगल में टीम का आतंकवादियों से आमना-सामना हुआ। गोलियां चलने लगी। अमित अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दो आंतकवादियों को ढेर कर तीन गोलियों के शिकार हो गए। घायल अवस्था में अमित को सैनिक अस्पताल लाया गया, जहां सघन चिकित्सा के दौरान 27 वर्षीय अमित वीरगति को प्राप्त हुए। अमित के पिता मधुकरराव शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए और माता लता ठेंगे गृहिणी है। अमित को बचपन से ही क्रिकेट और एथलेटिक्स का शौख था।


पहले घायल होने की दी थी सूचना
आशीष ढेंगे ने बताया कि 14 जुलाई को घर पर जम्मू रेजीमेंट से लैंडलाइन पर फोन आया। उस समय मैं घर पर था और फोन मैंने ही उठाया। बताया गया कि अमित बुरी तरह घायल हो गए हैं। हालांकि कुछ देर बाद उनके शहीद होने की खबर टीवी पर चलने लगी। पूरा परिवार सदमे में आ गया।


अंतिम विदाई देने पहुंचे थे मुख्यमंत्री
16 जुलाई को अमित का पार्थिव शरीर छिंदवाड़ा लाया गया था। वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा। इस दिन शहर में पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। इस दिन लगभग एक लाख लोगों की मौजूदगी बताई जाती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई हस्तियां पहुंची थी। नम आंखों से लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।