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CHHINDWARA: पांच हजार की क्षमता वाले कॉलेज में पढ़ रहे 10 हजार विद्यार्थी

सेमेस्टर में 10 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत थे।

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College: पीजी कॉलेज को छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के शिफ्ट होने का इंतजार

College: पीजी कॉलेज को छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के शिफ्ट होने का इंतजार

छिंदवाड़ा. शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज के लिए इस बार सीट वृद्धि करना मुश्किलों में डाल सकता है। इसकी वजह यह है कि कॉलेज में अधिकतम पांच हजार विद्यार्थियों को अध्यापन कराने के लिए स्टॉफ एवं कमरे उपलब्ध हैं। इसके अलावा लैब की सुविधा भी काफी कम है। सत्र 2020-21 में कॉलेज में स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष एवं स्नातकोत्तर के विभिन्न सेमेस्टर में 10 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत थे। वहीं इस बार अब तक संख्या 12 हजार के पार हो चुकी है। कॉलेज में अध्यापन के लिए 22 रूम है। कॉलेज ने अब तक दो शिफ्ट में अध्यापन कार्य कराकर किसी तरह व्यवस्था बनाई है, लेकिन आने वाले समय में समस्या होगी। वर्तमान में दाखिले के लिए पांचवां चरण आयोजित हो रहा है। दूसरी तरफ छात्र संगठन सीट वृद्धि की मांग कर रहे हैं। अगर कॉलेज ने सीट वृद्धि कर दी तो आने वाले समय में विद्यार्थियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी और कॉलेज के लिए अध्यापन कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। कॉलेज से जुड़े प्राध्यापकों का कहना है कि अगर सभी विद्यार्थी एक साथ कॉलेज पहुंच जाएं तो फिर वे क्लास में खड़े रहकर भी नहीं पढ़ सकते हैं। बीते वर्ष तक ऐसे कई बार स्थिति निर्मित हो चुकी है। जिस पर विद्यार्थियों ने ही सवाल खड़े किए थे। कॉलेज में प्राध्यापकों की संख्या भी काफी कम है। कॉलेज में कुल 85 पद प्राध्यापकों के स्वीकृति हैं। जबकि महज 69 प्राध्यापक ही हैं। यूजीसी के नियम के अनुसार 80 विद्यार्थी पर एक शिक्षक होना चाहिए। शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग कॉलेज में अतिथि विद्वानों एवं जनभागीदारी से शिक्षकों की नियुक्ति की छूट देकर औपचारिकता निभा रही है। शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए कॉलेज में स्थाई प्राध्यापकों की नियुक्ति, और बेहतर से बेहतर संसाधन और सीमित विद्यार्थियों का दाखिला लेना जरूरी है।

नैक टीम उठा चुकी है सवाल
पीजी कॉलेज में बीते 13 मई को नैक टीम मूल्यांकन करने पहुंची थी। सात साल बाद कॉलेज में नैक मूल्यांकन हुआ। दो दिन टीम ने कॉलेज में रूककर हर बिन्दू पर जरूरी सुविधाएं देखी। टीम संतुष्ट नहीं हुई। पीजी कॉलेज को बी ग्रेड मिला। अंक भी पिछली बार की अपेक्षा कम हो गए। कॉलेज को सात साल पहले 2.80 अंक मिले थे और इस बार 2.24 अंक मिले। इसके पीछे तीन वजह प्रमुख थी। इसमें सबसे प्रमुख वजह कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से सुविधाएं न होना था। अगर कॉलेज ने इस बार भी सीट वृद्धि की तो फिर समस्या और गहराती जाएगी।


अब तक नहीं मिला ए ग्रेड
जिले में किसी भी कॉलेज को अब तक न ही ए और न ही ए प्लस ग्रेड मिला है। जबकि पीजी कॉलेज की पूरी टीम इस बार ए ग्रेड पाने के लिए दिन-रात तैयारियों में जुटी हुई थी। बता दें कि मूल्यांकन के आधार पर नैक टीम की ओर से कॉलेज को ग्रेडिंग दी जाती है, जैसे बी, बी प्लस, सी, सी प्लस, अधिकतम ए, ए प्लस तक ग्रेडिंग दी जाती है। ग्रेडिंग के हिसाब से कॉलेज को करोड़ों रुपए का अनुदान मिलता है। जिससे छात्रहित में विकास कार्य व अन्य गतिविधियां कराए जाते हैं।

विभाग भी नहीं कर रहा सुनवाई
शासकीय कॉलेज में अध्यापन की व्यवस्था बेहतर हो इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग भी रूचि नहीं ले रहा है। पीजी कॉलेज एवं गल्र्स कॉलेज ने इस वर्ष दाखिला प्रक्रिया शुरु होने से पहले ही 25 से 30 प्रतिशत सीट में कमी किए जाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था। लेकिन विभाग ने कॉलेजों निवेदन अस्वीकार कर दिया। बड़ी बात यह है कि पिछले साल इन दोनों कॉलेज में जितनी सीट पर दाखिला हुआ था उससे दस प्रतिशत और भी सीट वृद्धि इस बार कर दी गई है।

इनका कहना है...
सीट वृद्धि करने से अध्यापन कराना काफी मुश्किल हो जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग से मार्गदर्शन मांगा है। यह बात सही है कि नैक टीम ने विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से प्राध्यापकों एवं संसाधन की कमी पर सवाल उठाते थे।
डॉ. अमिताभ पांडे, प्राचार्य, पीजी कॉलेज