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Guru purnima: गुरु अगर रूठ जाए तो नहीं मिलती कहीं भी शरण

सोमवार के दिन होने से यह सोमवती गुरु पूर्णिमा भी कह लाएगी।

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गुरु पूर्णिमा पर नशा मु​क्ति व पौधरोपण का लिया संकल्प

शपथ दिलाते संत गोविंद राम।

छिंदवाड़ा. शास्त्रों में भी गुरु को देवताओं से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है। कहा जाता है कि गुरु की आवश्यकता मनुष्यों के साथ ही स्वयं देवताओं को भी होती है।
गुरु को लेकर कहा गया है कि भगवान के रूठने पर गुरु की शरण मिल जाती है, लेकिन गुरु अगर रूठ जाए तो कहीं भी शरण नहीं मिलती। इसलिए जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि आप जिसे भी अपना गुरु मानते हों, गुरु पूर्णिमा के दिन उसकी पूजा करने या आशीर्वाद लेने से जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें कई गुरु मिलते हैं, जो हमें ज्ञान देकर हमारे जीवन को दिशा देते हैं। हमें शिखर तक पहुंचाते हैं। हालांकि समय के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। जिले में ऐसे कई लोग है जिन्होंने समय के साथ अपने गुरुओं को भूला दिया और कई ऐसे लोग हैं जो आज भी अपने गुरुओं को याद करते हैं। सोमवार को गुरु पूर्णिमा पर्व पर हम ऐसे ही कुछ लोगों से आपको रूबरू करा रहे हैं।

आज ब्रह्म योग में मनेगी गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर व्यास पूजन की परंपरा है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस दृष्टि से इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है।
3 जुलाई को आने वाली गुरु पूर्णिमा सोमवार के दिन होने से यह सोमवती गुरु पूर्णिमा भी कह लाएगी। ब्रह्म योग में पूर्णिमा विशेष रहेगी। ऐसा कहा जा सकता है कि गुरु ब्रह्म के रूप मेंए विष्णु के रूप में, रुद्र के रूप में या शिव के रूप में होने से उनकी पूजन जीवन के चारों पुरुषार्थ को सिद्ध करती है। शहर के मंदिरों में गुरु पूर्णिमा की तैयारी देर रात तक की गई।

इनका कहना है..
यह बात सच है कि जिन गुरुओं ने हमें रास्ता दिखाकर उन्हें हम भूल गए। जबकि सच में मेरे जीवन में ऐसे कई गुरु आए जिनके ज्ञान की वजह से ही आज मैं कुछ बन पाया। मैं उन्हें कभी भूल नहीं सकता। इस बार मैं जरूर अपने गुरुओं से फोन से ही सही बात करूंगा।
संजय मिश्रा, नौकरीपेशा

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यूं तो गुरू को याद करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए कोई दिन निश्चित नहीं होता है। यह बात सच है कि मेरे जीवन में आए कई गुरुओं को मैं भूल गया हूं। व्यस्त दिनचर्या की वजह से उन्हें याद नहीं कर पाया। इस बार मैं जरूर उन्हें याद करूंगा।

मोहित पाण्डेय, व्यापारी

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हम जो भी कर रहे हैं या जो भी आगे करेंगे उसमें किसी न किसी रूप में गुरू का योगदान होता है। गुरु कोई भी हो सकता है। इसलिए हमें हर किसी का सम्मान करना चाहिए। मैं अपने गुरुओं को इस बार फोन करके या उनसे मिलकर उनका आभार जताऊंगी।
निकिता वाल्मिकी, युवा
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हम सभी को चाहिए कि गुरु का सम्मान करें और उन्हें कभी भूलें नहीं बल्कि समय-समय पर उन्हें याद करें। गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं के याद करने का दिन है। हममे से कई ऐसे लोग हैं जो अपने गुरु हो भूल चुके हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
शुभांगी ब्रम्हे, युवा