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…तो यह ‘पद्मावती‘ विवाद की असली जड़, खिलजी नहीं नेहरू के लिए लगाया गया पद्मिनी महल में आईना

पद्मिनी महल के कक्ष में तीनों शीशे चित्तौडग़ढ़ यात्रा पर आए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिखाने के लिए पुरातत्व विभाग ने लगवाए थे।

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चित्तौडग़ढ़। दुर्ग स्थित पद्मिनी महल के कक्ष में तीनों शीशे वर्ष 1955 मेंं चित्तौडग़ढ़ यात्रा पर आए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिखाने के लिए पुरातत्व विभाग ने लगवाए थे। इसके बाद खुद पुरातत्व विभाग भी बताने लगा कि इस महल के कमरे में लगे शीशे से अलाउद्दीन खिलजी ने महारानी पद्मिनी के सौंदर्य की झलक देखी थी। यह बात महल के बाहर एक पत्थर पर आज भी लिखी हुई है। इसके बाद कुछ गाइड भी इन शीशों को पुरा सामग्री मानते हुए पर्यटकों को बताने लगे कि इसमें अलाउद्दीन खिलजी ने झलक देखी थी। यही बात राजपूत व अन्य समाजों की नाराजगी की जड़ बनी।

मेवाड़ के कुछ इतिहासकारों के अनुसार रावल रतनसिंह के समय सन् 1303 में मेवाड़ में शीशे का अस्तित्व ही नहीं था। मलिक मोहम्मद जायसी ने अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के 237 साल बाद 1540 में साहित्यिक कृति पद्मावत में काल्पनिक रूप में महारानी पद्मिनी के सौंदर्य की झलक खिलजी द्वारा देखने का उल्लेख कर दिया, जिस पर कर्नल जेम्स टॉड ने भी इसी साहित्यिक कृति को इतिहास का आधार मानकर सन् 1829 में अपने यात्रा वृत्तांत एनल्स एंड एंटी क्विटीज ऑफ राजस्थान में पद्मिनी, खिलजी व शीशे का जिक्र कर दिया।

पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर हुआ था बवाल
जायसी व टॉड की कृतियों में महारानी पद्मिनी की झलक शीशे में दिखाने संबंधी विवादित तथ्य बाद में धीरे-धीरे प्रचलित हो गया। इसमें पुरातत्व व पर्यटन विभाग भी पीछे नहीं रहे। पिछले साल पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर महारानी पद्मिनी को खिलजी की प्रेमिका बताने संबंधी तथ्य प्रकाशित करने पर बवाल होने के बाद विभाग को ये तथ्य हटाना पड़ा।

महल के बाहर पत्थर पर अभी भी उल्लेख

दुर्ग स्थित पद्मिनी महल के बाहर पुरातत्व विभाग ने महल के परिचय के लिए पत्थर लगा रखा है। इस पर लिखा हुआ है कि किवदंती है कि राणा रतनसिंह ने महल के दक्षिणी भाग में स्थित कमरे में लगे शीशे से रानी पद्मिनी के सौंदर्य की झलक अलाउद्दीन खिलजी को दिखाई। इसके बाद उसने चित्तौड़ को अधिकार में लेने के लिए आक्रमण किया। राजपूत समाज व करणी सेना इसे भी यहां से हटाने के लिए केन्द्र सरकार समेत जनप्रतिनिधियों व पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मांग कर चुकी है।

लाइट एंड साउंड शो की स्क्रिप्ट में भी यही तथ्य
चित्तौड़ दुर्ग स्थित कुंभा महल में प्रतिदिन रात को दिखाए जाने वाले लाइट एंड साउंड शो में भी रानी पद्मिनी को शीशे में दिखाए जाने का जिक्र आता है। शीशे तोडऩे की घटना के बाद इस स्क्रिप्ट में भी बदलाव की मांग उठी थी। करणी सेना की ओर से उग्र आंदोलन की चेतावनी के बाद राज्य सरकार ने भी लाइट एंड साउंड शो की स्क्रिप्ट मंगवाई। आठ महीने बाद भी इस स्क्रिप्ट में बदलाव नहीं हुआ है।


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