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अफीम पैमाइश में आगे तस्करी रोकने में पिछड़ा नारकोटिक्स विभाग

कार्मिक अफीम की फसल की पैमाइश व तौल के काम से आगे नहीं बढ़ रहे है, ऐसे में मादक पदार्थों की तस्करी पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही

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लहलहाती अफीम की फसल, रकबा कम होने के बावजूद किसानों को चौकसी ज्यादा करनी पड़ रही है

चित्तौडग़ढ़
मादक पदार्थों की तस्करी रोकने का जिम्मा खास तौर पर नारकोटिक्स विभाग पर है, लेकिन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अफीम की फसल की पैमाइश व तौल के काम से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इसी कारण जिले में नारकोटिक्स विभाग की ओर से मादक पदार्थों की तस्करी पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है। इसके मुकाबले पुलिस आए दिन तस्करी पर कार्रवाईयां कर रही है।

केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए कई एजेन्सियां हंै। मुख्य रूप से इस काम के लिए नारकोटिक्स विभाग जिम्मेदार है। नारकोटिक्स विभाग अफीम के खेत से लेकर मादक पदार्थों की तस्करी रोकने तक का कार्य देखता है। विभाग में तस्करी रोकने के लिए अलग से एक आसूचना एवं निवारक प्रकोष्ठ भी बनाया गया है।

केन्द्र सरकार का यह स्वतंत्र महकमा है, जिस पर तस्करी पर अंकुश लगाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। चित्तौडग़ढ़ जिले के नारकोटिक्स कार्यालय में अलग से आसूचना एवं निवारक प्रकोष्ठ होने के बावजूद विभागीय अधिकारी अफीम, डोडा चूरा, स्मैक सहित अन्य मादक पदार्थों की तस्करी रोकने में विफल रहे हैं। चित्तौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ जिले में स्मैक का कारोबार बढ़ रहा है।

युवा नशे के मकडज़ाल में फंसते जा रहे हैं। इधर, नारकोटिक्स विभाग की ओर से काफी समय से जिले में मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त अपराधियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में विभाग आसूचना एवं निवारक प्रकोष्ठ की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं।

दूसरी ओर, विभाग के अधिकारियों के अनुसार कार्रवाई में कमी के पीछे मुख्य कारण यह है कि उनको मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के साथ ही अफीम की बुवाई से लेकर फसल पकने तक खेतों पर नजर रखने का काम भी दिया हुआ है। आसूचना प्रकोष्ठ का स्टाफ भी अफीम बुवाई के साथ ही व्यस्त हो जाता है।

यह स्टाफ खेतों की नपाई, आवेदन आने पर अफीम उखाडऩे, अफीम तौल सहित कई कार्यों में व्यस्त रहता है। ऐसे में जो मुख्य कार्य है, वह पीछे छूट रहा है। ऐसे में जिले में मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है। साथ ही युवा नशे के दलदल में फंस रहे हैं।

कार्रवाई में पुलिस से कोसों दूर

मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के मामले में नारकोटिक्स विभाग पुलिस कार्रवाई के मुकाबले कोसों दूर है। पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले वर्ष 2016 में 89 की अपेक्षा वर्ष 2017 में 124 दर्ज किए। पुलिस ने इन मामलों में 21 हजार किलोग्राम डोडाचूरा और 20 किलो से अधिक अफीम सहित अन्य मादक पदार्थ जब्त किए।

इनमें 168 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। दूसरी ओर, नारकोटिक्स विभाग की ओर से जिले में कार्रवाई का आंकड़ा दो अंकों तक भी नहीं पहुंच पाया। पकड़ा गया मादक पदार्थ तो पुलिस का 10 प्रतिशत भी नहीं हुआ। पुलिस के पास सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी भी रहती है।

40 फीसदी से ज्यादा पद हैं खाली

नारकोटिक्स अधिकारी बताते हैं कि विभाग रिक्त पदों की कमी से जूझ रहा है। चित्तौडग़ढ़ में नारकोटिक्स विभाग में करीब 40-45 प्रतिशत पद रिक्त हैं। ऐसे में विभाग मादक पदार्थों की तस्करी पर नकेल नहीं कस पा रहा है।

अफीम का रकबा कम, चौकसी करनी पड़ रही भारी

संगेसरा क्षेत्र में रबी की बुवाई में अन्य फसलों के मुकाबले अफीम की फसल का रकबा भले ही बहुत कम रहता है लेकिन काले सोने की महक अन्य फसलों पर भारी पड़ती नजर आती है। इन दिनों अफीम की फसल में आ रहे फलाव के बाद खेतों के आसपास का क्षेत्र अफीम की गंध से महकने लगा है।

इसके साथ ही किसानों ने फसल की चौकसी बढ़ा दी है। अफीम की फसल की बुवाई से लेकर पकने तक इसकी विशेष देखभाल करनी पड़ती है। फसल आने के बाद खेत की सफाई तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में सुरक्षा के लिए किसान परिवार समेत खेतों पर रहते हैं।

पक्षियों से नुकसान का अंदेशा

लोठियाना के किसान उदयलाल खारोल ने बताया की पुराने कपड़ो से तैयार किए गए पुतलों को देशी बोलचाल में खेत बजुखा कहा जाता है। किसानों ने बताया कि इन दिनों अफीम की फसल में फूल आने के बाद डोडे बनने लगे हैं।

फसल के इस अवस्था में आने पर पक्षियों से भी फसल को नुकसान का अंदेशा बना रहता है इससे बचाव के लिए खेतों में कपड़ो के पुतले बनाकर खड़े करने पड़ते हैं।

12 हजार से ज्यादा किसान करेंगे अफीम की खेती

जिले में इस बार 1210 हैक्टेयर में अफीम की खेती होने का अनुमान है। इस बार चित्तौडग़ढ़ कार्यालय के प्रथम खंड में 398 0 किसान, द्वितीय में 36 00 तथा तृतीय खंड में 4523 किसानों को अफीम खेती के लिए पट्टे जारी किए गए हैं।