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Chittorgarh: मनरेगा में अब नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा, इसरो का सॉफ्टवेयर यूं करेगा निगरानी, जानें पूरा मामला

राजस्थान के किसी भी गांव में एक बार खुद चुके नाडी-तालाब अब पांच साल से पहले दुबारा नहीं खुदेंगे। नरेगा से जुड़े सभी कार्यों की निगरानी के लिए पंचायतीराज मंत्रालय एवं इसरो ने सॉफ्टवेयर तैयार किया है।

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मनरेगा में इसरो के सॉफ्टवेयर से निगरानी, फोटो पत्रिका

मनरेगा में इसरो के सॉफ्टवेयर से निगरानी, फोटो पत्रिका

राजस्थान के किसी भी गांव में एक बार खुद चुके नाडी-तालाब अब पांच साल से पहले दुबारा नहीं खुदेंगे। नरेगा से जुड़े सभी कार्यों में यह व्यवस्था की गई है। पांच साल से पहले ग्रेवल सड़कें भी नहीं बनेगी। वहीं सीसी सड़कें 10 से 15 वर्ष तक दुबारा नहीं बना सकेंगे। इसकी निगरानी के लिए पंचायतीराज मंत्रालय एवं इसरो ने सॉफ्टवेयर तैयार किया है।

मनमाने प्रस्तावों पर लगेगी रोक

यह सॉफ्टवेयर मनमाने ढंग से भेजे गए प्रस्तावों की स्वीकृति रोक देगा। भारत सरकार की इस गाइड लाइन ने सरपंचों की नींद उड़ा दी है। साथ ही हर वर्ष गांव के नाडी-तालाब खोदने वाले श्रमिकों को भी मजदूरी भी नहीं मिल सकेगी। यह पोर्टल पांच साल की निर्धारित अवधि पूरी नहीं होने तक उस प्रस्ताव को स्वीकार ही नहीं करेगा। सरकार की इस नई व्यवस्था से प्रदेश में नरेगा के कच्चे कार्यों की स्वीकृतियों पर विराम लग गया है।

सरकार का मानना है कि एक तालाब की खुदाई करने के बाद उसे पांच साल तक खोदने की आवश्कता नहीं रहती है। लगातार खुदाई करने से तालाबों के तल खोखले हो रहे हैं। उनमें ठहराव जरूरी है। बार-बार एक ही तालाब की स्वीकृति से सरकार के करोड़ों रुपए व्यर्थ हो रहे है। श्रमिक भी ठाले बैठे रहते हैं। यही हाल ग्रेवल सडकों के हैं। यहां भी बार-बार स्वीकृतियां जारी कर दी जाती है। जबकि एक बार बड़ी ग्रेवल सड़क पर पांच वर्ष तक दुबारा कार्य करने की आवश्यकता नहीं रहती।

इसरो ने बनाया सॉफ्टवेयर

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मिलकर युक्तधारा पोर्टल बनाया है। यह पोर्टल रिमोट सेसिंग और जियोग्राफ इंर्फोमेशन सिस्टम का उपयोग करके परिसपत्तियों की योजना बनाने एवं निगरानी करने में सहायक होगा। यह पोर्टल जियोटेग के भण्डार के रूप में कार्य करेगा तथा फिल्ड फोटो उपलब्ध करवाएगा तथा नियम विरूद्ध प्रस्तावों को स्वीकार ही नहीं करेगा।

तैयार होगा मैप

नरेगा में तालाबों की अलग-अलग दिशा बताकर खुदाई की स्वीकृति ली जाती रही है। अब पूरे तालाब का मैप बनकर ऑनलाइन होगा। सड़कों का भी प्रत्येक 500 मीटर दूरी का मैप तैयार होगा। इससे उसका निर्माण कब हुआ यह तत्काल पकड़ में आ जाएगा।

निर्देशों की होगी पालना

सरकार से निर्देश प्राप्त हुए हैं। मनरेगा में हर काम की जियोफेंसिंग की जाएगी। अब नाडी-तालाब की एक बार खुदाई होने के बाद अगले पांच साल तक वापस खुदाई नहीं हो सकेगी।
राजेन्द्र लढ़ा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा चित्तौड़गढ़

दे रहे प्रमाण पत्र

कोई भी नाडी-तालाब पांच वर्ष तक नहीं खुदे हैं। इस संबंध में सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी के प्रमाण पत्र लेकर प्रस्ताव भेज रहे हैं। पांच वर्ष पहले नाडी तालाब पर नरेगा से स्वीकृति नहीं मिलेगी।


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