
मनरेगा में घटा श्रम नियोजन, फोटो एआइ
राज्य सरकार के नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) के ऐप ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार की परते खोल दी हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग ने मनरेगा में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए 1 जनवरी 2024 को इस ऐप को लांच किया था। इस ऐप से जिओ टैग के जरिए श्रमिकों की लाइव फोटो के साथ वास्तविक उपस्थिति अनिवार्य की गई। ऐप ने गड़बडिय़ां पकड़ऩा शुरू किया तो मनरेगा कार्य स्थलों पर मस्टररोल पर वास्तविक श्रमिक दर्ज होने लगे और छह माह में मस्टररोल में 15.31 प्रतिशत कमी आ गई।
एक नवम्बर 2024 से मार्च 25 तक 6 करोड़ और 1 अप्रेल 2025 से 29 जून तक 7 करोड़ श्रमिक नियोजन कम हो गया। एक श्रमिक की प्रतिदिन न्यूनतम 200 रुपए की मजदूरी के हिसाब से फर्जी लगने वाले श्रमिकों के बतौर कुल 2600 करोड़ के संभावित फर्जीवाड़े को रोक दिया। ऐप से गड़बडिय़ां पकड़ में आई तो विभाग ने 1700 मेट ब्लैक लिस्ट किए और 5000 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ नोटिस की कार्रवाई की।
-फोटो में एक श्रमिक, मस्टरोल में 8 की उपस्थिति (केस-विजयनगर, श्रीगंगानगर)
-रेंडम/बार-बार एक तरह की फोटो का उपयोग : एक फोटो में 5 श्रमिक, दूसरी में रेंडम तस्वीर। लेकिन मस्टरोल में 10 मजदूरों की उपस्थिति (केस-सेमारी, उदयपुर)
-एक ही जगह की तस्वीर अलग-अलग कार्यस्थलों के नाम पर अपलोड करना।
-पुराने फोटो को नए दिन की उपस्थिति के रूप में इस्तेमाल करना।
-फोटो में दिख रहे श्रमिकों की संख्या और मस्टरोल की संख्या मेल नहीं खा रही थी।
राजस्थान के ईजीएस के अधिकारियों का कहना है कि नरेगा सूची से 5-6 लाख फर्जी नाम इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हटाए गए हैं, जिससे 2,600 करोड़ रुपए के संभावित फर्जीवाड़़े को रोका गया। वहीं 1700 मेट ब्लैक लिस्ट किए गए और 5000 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है।
चालू वित्त वर्ष (2025-26) में जून तक रोजगार सृजन में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में भारी गिरावट दर्ज की गई है। योजना के तहत जून 2025-26 तक महज 9.7 करोड़ श्रमिकों को ही काम मिला, जो जून 2024-25 तक दर्ज 13.9 करोड़ श्रमिकों से बहुत कम है। जबकि जून 2023-24 तक यह आंकड़ा 13.6 करोड़ श्रमिक नियोजन रहा, वहीं जून 2022-23 तक 13 करोड़ श्रमिक नियोजन दर्ज किया गया।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए स्वीकृत श्रम बजट 12.5 करोड़ है, जो पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में शुरू में स्वीकृत बजट से काफी कम है। पिछले साल (2024-25) वित्तीय वर्ष के अंत तक स्वीकृत श्रम बजट 27 करोड़ रुपए था। कुछ सामाजित कार्यकर्ताओं की मानें तो स्वीकृत बजट के 60 फीसदी से ज़्यादा खर्च न करने का नया नियम गांवों में रोजगार सृजन में बड़ी बाधा बन रहा है। अधिनियम के अनुसार, मनरेगा में कोई बजटीय बाधा नहीं है। राजस्थान में नरेगा कार्य से जुड़ी कई समस्याएं भी सामने आई हैं। लोग गांवों में काम की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है।
राज्य मरनेगा में कई मेट एक या दो श्रमिकों की फोटो खींचकर बाकि मजदूरों की फर्जी उपस्थिति मस्टरोल में दिखाकर नकली बिल बनाए जा रहे थे। असल में जिन श्रमिकोंं ने काम ही नहीं किया, उनके नाम पर पैसे निकाल लिए गए। एनएमएमएस ऐप शुरू हुआ तो यह गड़बडिय़ां पकड़ में आ गई। ऐसे में कार्यरत मेटों का भुगतान रोका गया। वहीं भुगतान नहीं मिलने पर अन्य मेट भी काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। नरेगा के तहत 20 गतिविधियों की सीमा से संबंधित अन्य तकनीकी जटिलताएं भी श्रम नियोजन में बड़ी बाधा बन रही हैं।
Published on:
15 Jul 2025 01:32 pm
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