
किसानों के असली उर्वरक पहचानने का तरीका (फोटो- पत्रिका)
Farmer News: चित्तौड़गढ़: जिले के किसान कृषि वैज्ञानिकों की ओर से बताए गए टिप्स अपनाकर नकली उर्वरक की ठगी से बच सकेंगे। खरीफ का सीजन शुरू होने वाला है और इन दिनों में नकली उर्वरक बेचने वाले सक्रिय हो जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने उर्वरक के नाम पर हो रही ठगी से किसानों को सावधानी बरतने की सलाह के साथ कुछ टिप्स भी जारी किए हैं, जिससे किसान संभावित ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं।
जिले में किसानों ने खरीफ सीजन की बुआई के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को जागरुक होने के साथ सतर्क रहने की सलाह दी है।
संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार चित्तौडग़ढ़ दिनेश कुमार जागा ने बताया, किसान खरीफ सीजन की बुआई करने के लिए खेतों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। खरीफ सीजन की फसलों की उपज बढ़ाने के लिए किसान उर्वरकों का उपयोग भी करते हैं। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग डीएपी के असली दिखने वाले बैग्स में नकली उर्वरक भरकर बेच देते हैं, जिसका सीधा नुकसान किसान और फसल को होता है।
हालांकि, विभाग नकली उर्वरक, बीज और कीटनाशक बेचने वालों के विरुद्ध समय-समय पर जांच अभियान चलाकर कार्रवाई करता है। लेकिन ऐसे लोगों से बचने के लिए किसानों को भी जागरुक होने की आवश्यकता है। ताकि वे असली और नकली उर्वरक की पहचान कर सकें।
संयुक्त निदेशक जागा ने बताया कि किसान उर्वरक खरीदते समय कुछ सामान्य जानकारी रखकर बाजार में मिलने वाले नकली उर्वरकों की पहचान करके ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं। नकली बीज एवं उर्वरक न केवल उत्पादन को प्रभावित करते हैं। बल्कि किसान को आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए बाजार में मिलने वाले उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, एसएसपी, पोटाश और जिंक सल्फेट आदि असली हैं या नकली। इसकी पहचान कुछ तरीके अपनाकर कर सकते हैं।
यूरिया के सफेद गोल आकार के एक जैसे दाने होते हैं। इसकी पहचान के लिए यूरिया के कुछ दानों को एक पानी के गिलास में डालकर उसे हिलाने पर संपूर्ण यूरिया पानी में घुल जाता है। पानी को छूने पर ठंडा महसूस हो तो यूरिया असली है।
डीएपी के दाने कंकर की तरह अनियमित आकार लिए होते हैं। इसकी पहचान के लिए डीएपी के दानों को हथेली में रखकर तंबाकू की तरह इसमें चूना मिलाकर रगड़ते हैं तो तेज गंध का अहसास हो तो डीएपी असली है। दूसरा तरीका यह है कि डीएपी के कुछ दानों को तवे पर रखकर गर्म करने पर देखेंगे कि असली डीएपी के दाने फूल जाते हैं और नकली डीएपी के दाने फूलते नहीं हैं।
असली पोटाश सफेद नमक एवं लाल मिर्च जैसा होता है। असली पोटाश के दाने नमी होने पर या उसमें पानी मिलाने पर आपस में चिपकते नहीं हैं। इसका दूसरा तरीका यह है कि पोटाश में पानी मिलाने पर इसमें उपस्थित लाल दाने पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगते हैं तो समझना चाहिए कि पोटाश असली हैं अन्यथा यह नकली हो सकता है।
जिंक सल्फेट हल्का सफेद या पीले भूरे रंग का होता है। इसकी पहचान के लिए डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बन जाए तो यह असली है।
Published on:
23 May 2025 12:19 pm
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