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Rajasthan: खनिज खोज में पहली बार एआई का उपयोग,जानें, इन जिलों से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट

पायलट प्रोजेक्ट के तहत भीलवाड़ा और भरतपुर के साथ ही चित्तौड़गढ़ के कुछ स्थानों पर एआई के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रेटेजिक खनिज संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा।

राजस्थान में पहली बार एआई से खनिज खोज, पत्रिका फोटो

Chittorgarh: प्रदेश में खनिजों की खोज के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स व मशीन लर्निंग तकनीक का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रमुख सचिव खान एवं भूविज्ञान टी.रविकान्त ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत भीलवाड़ा और भरतपुर के साथ ही चित्तौड़गढ़ के कुछ स्थानों पर एआई के माध्यम से क्रिटिकल एवं स्ट्रेटेजिक खनिज संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि खनिज क्षेत्र में नवाचार के तहत एआई के उपयोग का निर्णय किया गया है और इसके लिए राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट आरएसएमईटी द्वारा केन्द्र सरकार एवं नोटिफाइड प्राइवेट एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ काम शुरू किया जाएगा। वर्तमान में राज्य में 57 प्रकार के खनिजों का खनन हो रहा है।

इन तीन जिलों में शुरू होगा काम

प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भीलवाड़ा-भरतपुर व चित्तौड़गढ़ में काम शुरू किया जाएगा। एआई अध्ययन से प्राप्त रिपोर्ट के अधार पर खनिज संभावित चिन्हित स्थानों पर प्राथमिकता से ड्रिलिंग करवाते हुए नमूने का रासायनिक विश्लेषण करवाया जाएगा और उसके परिणामों के आधार पर ब्लॉक तैयार कर नीलामी की कार्रवाई की जाएगी। खनिज खोज में पहली बार एआई का उपयोग किया जाएगा।

पायलट प्रोजेक्ट में एआइ कारगर

उन्होंने बताया कि परंपरागत तरीके से सर्वेक्षण में अधिक समय व धन व्यय होता है वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से एक्सप्लोरेशन कार्य सेे समय, धन और श्रम की बचत होने के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से एक्सप्लोरेशन में गुणवत्ता और खनिज उपलब्धता सुनिश्चितता की संभावना अधिक होगी।
प्रदेश में मेजर मिनरल में लाइम स्टोन के विपुल भण्डारों के साथ ही कॉपर, बेसमेटल, आयरन सहित क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों की प्रचुर मात्रा में भण्डार होने के साथ ही बहुतायत में डिपोजिट्स होने की संभावना है। प्रदेश में पायलट प्रोेजेक्ट के रुप में काम करने वाली केन्द्र सरकार द्वारा नोटिफाइड़ प्राइवेट एक्सप्लोरेशन एजेंसी क्रिटिकल मिनरल ट्रेकर द्वारा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कार्य किया जा रहा है।

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