
प्रतीकात्मक तस्वीर
SIR process in Rajasthan: राजस्थान में मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए शुरू की गई मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान SIR प्रक्रिया ने चित्तौड़गढ़ अंचल के ग्रामीण लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। उन्हें वर्ष 2002 की मतदाता सूची के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मजरों और ढ़ाणियों में रहने वाले लोगों के पास तो खुद के रंगीन फोटो तक नहीं है। ऐसे में इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटने की आशंकाएं जताई जा रही है।
एसआइआर प्रक्रिया के चलते जो महिलाएं अन्य जिलों या राज्यों से विवाह कर चित्तौड़गढ़ जिले में 23 साल पहले आई थी। उनके सामने अब 23 साल पुरानी यानी वर्ष 2002 की मतदाता सूची ढूंढने की चुनौती हैं। वर्ष 2002 की सूची में उनके माता-पिता का नाम अंकित होना अनिवार्य है। नहीं तो यहां की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने में परेशानी आएगी। प्रारंभिक तौर पर इस प्रक्रिया में जो समस्याएं सामने आ रही हैं। उनमें ग्रामीणों के पास नई पासपोर्ट आकार की फोटो नहीं होना, विवाहित महिलाओं के पास पीहर की मतदाता सूची या दस्तावेज नहीं होना शामिल है।
प्रक्रिया के अनुसार महिला यदि 42 साल या इससे कम है तो माता-पिता का नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में होना जरूरी है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कई मतदाता कम पढ़े-लिखे होने के कारण उनसे आवेदन पत्र भरवाना चुनौती बना हुआ है। मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के तहत जिले में बीएलओ मतदाताओं के यहां दस्तक दे रहे हैं। आवेदन पत्रों का वितरण किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी निर्वाचन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इसके बाद भी मतदाताओं की मुश्किलें कम नहीं हो रही। कई मतदाताओं को सबूत जुटाना भारी पड़ रहा है।
नए मतदाताओं को माता-पिता के पहचान दस्तावेज जुटाने में मेहनत करनी पड़ रही है। सबसे बड़ी परेशानी शादीशुदा महिलाओं के सामने है। वर्षों पहले ससुराल आ चुकी बहुओं के लिए पीहर के बूथ नंबर, भाग संख्या या 2002 की मतदाता सूची तलाशना मुश्किल हो रहा है।
Published on:
10 Nov 2025 10:23 am
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