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इस दिग्गज ने फिर से थामा कांग्रेस का हाथ, विधानसभा चुनाव में बागी प्रत्याशी के तौर पर लड़ा था चुनाव

locationचुरूPublished: Apr 19, 2019 09:30:36 am

Submitted by:

dinesh

बसपा नेता राधेश्याम डोकवेवाला, हनुमान प्रजापत, कांग्रेस से निष्कासित संजय पूनिया, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष हंसराज पारीक ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की…

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चूरू।

लोकसभा चुनाव ( lok sabha election 2019 ) से पहले कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. सीएस बैद ( Dr. CS Baid ) की गुरुवार को घर वापसी हो गई। हाल में विधानसभा चुनाव के दौरान बागी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके बैद पूर्व मंत्री चंदनमल बैद के पुत्र हैं। चूरू में सभा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की मौजूदगी में प्रभारी मंत्री सुभाष गर्ग ने बैद के कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की। बैद के कांग्रेस में लौटने पर कार्यकर्ताओं ने तारानगर स्थित गढ़ चौक में आतिशबाजी करके मिठाइयां बांटी।
बसपा नेता राधेश्याम डोकवेवाला, हनुमान प्रजापत, कांग्रेस से निष्कासित संजय पूनिया, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष हंसराज पारीक ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इधर, जयपुर में एससी प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष गोपाल डेनवाल को प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डे ने पार्टी में शामिल कराया।
वहीं दूसरी ओर… खान घोटाले में पांच साल कांग्रेस के निशाने पर रहे रिणवा अब कांग्रेस के साथ
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में खान महाघोटाले के बाद कांग्रेस के निशाने पर आए पूर्व खनन मंत्री राजकुमार रिणवा ( Raj Kumar Rinwa ) ने गुरुवार को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। चूरू में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की मौजूदगी में रिणवा ने लम्बे समय बाद पुन: कांग्रेस का हाथ थामा। खान महाघोटाले का मुद्दा कांग्रेस ने पांच साल तक जोर-शोर से उठाया। इसे 1 लाख करोड़ का घोटाला बताते हुए स्वयं गहलोत, पायलट और प्रदेश एवं केन्द्रीय नेताओं ने राजस्थान तथा दिल्ली तक सीएजी व सीबीआइ से जांच कराने के लिए आंदोलन भी किए थे। हालांकि इस मामले की जांच आज भी लोकायुक्त में लंबित है।
विस चुनाव में भी बनाया था मुद्दा
हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने इसे मुददा बनाया था। रफीक मंडेलिया की नामांकन रैली में गहलोत और पायलट ने रिणवा को कांग्रेस का दुपट्टा पहनाकर पार्टी की सदस्यता दी। विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर रतनगढ़ से चुनाव लड़ चुके रिणवा को हार का सामना करना पड़ा था। रिणवा ने विधानसभा चुनाव 2003 में भी कांग्रेस से टिकट मांगा था। टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े और जीत गए। 2008 और 2013 के चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़े और जीते। रिणवा का 2018 के चुनाव में स्थानीय स्तर पर विरोध के बाद भाजपा ने टिकट काट दिया। इस पर वह बागी हो गए।
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