scriptबढ़ता जा रहा ऑर्थो मरीजों का दर्द, जिम्मेदारों की नहीं खुल रही नींद | Patients growing pains in responsible sleep | Patrika News

बढ़ता जा रहा ऑर्थो मरीजों का दर्द, जिम्मेदारों की नहीं खुल रही नींद

locationचुरूPublished: Feb 21, 2019 12:30:44 pm

Submitted by:

Madhusudan Sharma

पंडित दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने की बजाय दिनोदिन बिगड़ती जा रही है। अस्पताल पर अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन का पूर्ण नियंत्रण है फिर भी व्यवस्थाएं नहीं सुधर रही।

churu news

जिम्मेदार नींद में, मरीजों का बढ़ रहा दर्द

चूरू. पंडित दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने की बजाय दिनोदिन बिगड़ती जा रही है। अस्पताल पर अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन का पूर्ण नियंत्रण है फिर भी व्यवस्थाएं नहीं सुधर रही। मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी ऑर्थो मरीजों को उठानी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक ऑर्थो में प्रतिदिन 250 से 300 मरीज आते हैं। लेकिन ऑर्थो के लिए ट्रोमा सेंटर में एक छोटे से कमरे में ओपीडी चलाई जा रही है। इसके कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक कमरे में महिला व पुरुष मरीज इस कदर आ जाते हैं मानो उन्हे जबरन ठूंस कर भर दिया गया है। इस स्थिति के कारण कोई बुजुर्ग व महिला अंदर जाना चाहे तो वे नहीं पहुंच पाते हैं। गंभीर मरीजों को डाक्टर को खुद बाहर निकलकर देखना पड़ता है।
प्रतिदिन चार ऑर्थो पीडिशियन की ड्यूटी
जानकारी के मुताबिक ट्रोमा में सहायक आचार्य डा. प्रदीप शर्मा, डा. आनंद प्रकाश, डा. महावीर प्रसाद कुड़ी, डा. विजयपाल सिंह कड़वासरा, डा. विक्रांत शेखावत बतौर ऑर्थोपीडिशियन कार्यरत हैं। इसके अलावा दो सीपीएस प्रैक्टिशनर व एक जेआर भी कार्यरत है। ऐसे में प्रतिदिन करीब चार विशेषज्ञ सेवा देते हैं लेकिन जगह नहीं होने के कारण दो ऑर्थो विशेषज्ञ ही सेवा दे पा रहे हैं बाकी इधर-उधर बैठे रहते हैं। जबकि बर्न यूनिट में दो से तीन कमरे ऐसे हैं जहां पर ओपीडी आराम से चल सकती है। यदि दो कमरों में ओपीडी शुरू कर दी जाए तो मरीजों को परेशानी नहीं होगी। मरीज समय से दिखाकर जांच कराकर दवा भी ले सकेंगे। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण मरीजों को आए दिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
मेडिसिन व सर्जरी में भी डाक्टरों के लिए जगह नहीं
इसी प्रकार मेडिसिन व सर्जरी के डाक्टरों के लिए भी ओपीडी के अलावा अन्य दिनों में बैठने की जगह नहीं है। ऐसे में मरीज उन्हें दूसरे दिन खोजते ही रहते हैं। कोई कहीं तो कोई कहीं बैठा रहता है। जबकि अस्पताल में कई कमरे ऐसे हैं जिसमें प्रोफेसरों व सहायक प्रोफेसरों को बैठने के लिए दिया जा सकता है। लेकिन उन कमरों में नर्सिंग का या अन्य सामान पड़ा है। जबकि उन सामानों को अन्यत्र भी रखा जा सकता है। अस्पताल प्रशासन की ढिलाई के कारण व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। इसका सबसे बड़ा खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
डाक्टर व अधीक्षक के तर्क
ऑर्थो के डाक्टरों का कहना है कि उनके पास ओपीडी के लिए केवल एक छोटा कमरा है। इसके कारण डाक्टरों के बैठने के लिए जगह नहीं हैं। ऐसे में मरीज कहां देखें। यदि उन्हे बैठने की जगह मिल जाए और उन कमरों में बैठने वाले डाक्टरों के नाम निर्धारित कर दिए जाएं तो मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। समय से ओपीडी मरीजों को देखा जा सकता है। वहीं अधीक्षक डा. जेएन खत्री का कहना है कि बर्न यूनिट में एक और कमरा ऑर्थो पीडिशियन के लिए दे दिया गया है। यदि उसमें डाक्टर नहीं बैठ रहे हैं तो उनसे स्पष्टीकरण मांगेंगे। मरीजों की सुविधा के लिए शीघ्र ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।
&कई कमरों को एमसीआई की जरूरत के मुताबिक तैयार करवा दिया गया है। बर्न यूनिट में भी कुछ कमरे एससीएई के अनुरूप तैयार करवा दिए गए हैं। एक में ओपीडी के लिए आरक्षित कर दिया गया है। कमरों की संख्या कम है नया भवन बनाने के लिए विभागीय सचिव को अवगत करा दिया गया है। लेकिन इसमें अभी वक्त लगेगा। मरीजों की सुविधा के लिए हर जरूरी कदम उठाया जाएगा।
प्रो. गजेन्द्र सक्सेना, प्रिंसिपल, पीडीयू मेडिकल कालेज, चूरू

ट्रेंडिंग वीडियो