जानकारी के मुताबिक ट्रोमा में सहायक आचार्य डा. प्रदीप शर्मा, डा. आनंद प्रकाश, डा. महावीर प्रसाद कुड़ी, डा. विजयपाल सिंह कड़वासरा, डा. विक्रांत शेखावत बतौर ऑर्थोपीडिशियन कार्यरत हैं। इसके अलावा दो सीपीएस प्रैक्टिशनर व एक जेआर भी कार्यरत है। ऐसे में प्रतिदिन करीब चार विशेषज्ञ सेवा देते हैं लेकिन जगह नहीं होने के कारण दो ऑर्थो विशेषज्ञ ही सेवा दे पा रहे हैं बाकी इधर-उधर बैठे रहते हैं। जबकि बर्न यूनिट में दो से तीन कमरे ऐसे हैं जहां पर ओपीडी आराम से चल सकती है। यदि दो कमरों में ओपीडी शुरू कर दी जाए तो मरीजों को परेशानी नहीं होगी। मरीज समय से दिखाकर जांच कराकर दवा भी ले सकेंगे। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण मरीजों को आए दिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
इसी प्रकार मेडिसिन व सर्जरी के डाक्टरों के लिए भी ओपीडी के अलावा अन्य दिनों में बैठने की जगह नहीं है। ऐसे में मरीज उन्हें दूसरे दिन खोजते ही रहते हैं। कोई कहीं तो कोई कहीं बैठा रहता है। जबकि अस्पताल में कई कमरे ऐसे हैं जिसमें प्रोफेसरों व सहायक प्रोफेसरों को बैठने के लिए दिया जा सकता है। लेकिन उन कमरों में नर्सिंग का या अन्य सामान पड़ा है। जबकि उन सामानों को अन्यत्र भी रखा जा सकता है। अस्पताल प्रशासन की ढिलाई के कारण व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। इसका सबसे बड़ा खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
ऑर्थो के डाक्टरों का कहना है कि उनके पास ओपीडी के लिए केवल एक छोटा कमरा है। इसके कारण डाक्टरों के बैठने के लिए जगह नहीं हैं। ऐसे में मरीज कहां देखें। यदि उन्हे बैठने की जगह मिल जाए और उन कमरों में बैठने वाले डाक्टरों के नाम निर्धारित कर दिए जाएं तो मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। समय से ओपीडी मरीजों को देखा जा सकता है। वहीं अधीक्षक डा. जेएन खत्री का कहना है कि बर्न यूनिट में एक और कमरा ऑर्थो पीडिशियन के लिए दे दिया गया है। यदि उसमें डाक्टर नहीं बैठ रहे हैं तो उनसे स्पष्टीकरण मांगेंगे। मरीजों की सुविधा के लिए शीघ्र ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रो. गजेन्द्र सक्सेना, प्रिंसिपल, पीडीयू मेडिकल कालेज, चूरू