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वेटर की नौकरी… ग्राहकों की बदतमीजी सहते हुए लंबे संघर्ष के बाद ऑस्‍ट्रेलिया रेड बॉल क्रिकेट में इस भारतीय का डेब्‍यू

Nikhil Chaudhary Story of Struggles: पंजाब के क्रिकेटर निखिल चौधरी ने ऑस्‍ट्रेलिया घरेलू क्रिकेट में इतिहास रच दिया है। वह रुसी सुरती (1972) के बाद ऑस्‍ट्रेलिया में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले दूसरे भारतीय क्रिकेटर बन गए हैं। लंबे संघर्षों के बाद उन्‍होंने ये उपलब्धि हासिल की है।

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भारत

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lokesh verma

Oct 06, 2025

Nikhil Chaudhary Story of Struggles

ऑस्‍ट्रेलिया घरेलू रेड बॉल क्रिकेट में डेब्‍यू करने वाले पंजाब के ऑलराउंडर निखिल चौधरी। (फोटो सोर्स: एक्‍स@/TasmanianTigers)

Nikhil Chaudhary Story of Struggles: कहते हैं जहां चाह होती है, राह भी वहीं होती है। किसी को यूं ही आसानी से मंजिल मिल जाती है तो किसी को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है, कुछ ऐसी ही कहानी है पंजाब के क्रिकेटर निखिल चौधरी की। भारत के इस बेटे ने अब ऑस्‍ट्रेलिया घरेलू क्रिकेट में इतिहास रच दिया है। 29 वर्षीय निखिल चौधरी हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में प्रथम श्रेणी क्रिकेटर बन गए हैं। ये उपलब्धि हासिल करने वाले वह दूसरे भारतीय हैं। उनसे पहले रुसी सुरती 1972 में अपने करियर के अंतिम दौर में क्वींसलैंड के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले टेस्ट खिलाड़ी थे।

हजारों मील दूर फंसे, लेकिन हिम्‍मत नहीं हारी

दरअसल, द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, निखिल चौधरी का ये सफर पांच साल पहले शुरू हुआ था, जब वह एक लंबे घरेलू सीजन के बाद अपना जन्मदिन मनाने के लिए 2020 में ऑस्ट्रेलिया गए थे। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के कुछ दिन बाद कोविड आ गया। वैश्विक स्तर पर कोरोना के तेजी से फैलने के चलते ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस तरह पंजाब के लुधियाना के बिल्डर का इकलौता बेटा घर से हजारों मील दूर फंस गया।

सबसे पहले जॉइन किया ब्रिस्बेन का स्थानीय क्लब 

कोरोना की लहर शांत होने के बाद ऑस्‍ट्रेलिया ने आवागमन से प्रतिबंध हटा लिया। आंतरिक यात्रा फिर से शुरू हो गईं, लेकिन निखिल तब तक ब्रिस्बेन के एक स्थानीय क्लब में शामिल हो चुके थे। उन्होंने स्थानीय लीग में भी खेला। निखिल ने अपने माता-पिता को बताया कि वह ऑस्‍ट्रेलिया में ही रह रहे हैं और उन्‍होंने अपने पर्यटक वीजा को पहले अध्ययन और अब खेल में बदल लिया है।

ऐशो आराम के साथ लाड़-प्‍यार में पले-बढ़े निखिल 

वह घर से पैसा नहीं लेना चाहते थे। इस वजह से उन्‍होंने पहले एक मैक्सिकन रेस्टोरेंट वेटर के अलावा किचन में भी प्याज काटे। ऑस्ट्रेलिया पोस्ट की वैन में रोजाना करीब 250 पैकेट पहुंचाए और उबर टैक्सी भी चलाई। इस तरह ऐशो आराम के साथ लाड़-प्‍यार में पला-बढ़ा लड़का अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष करता रहा था।

ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक कदम और

आक्रामक बल्लेबाज और लेग स्पिनर निखिल चौधरी को अब क्वींसलैंड के खिलाफ शेफील्ड शील्ड मैच के लिए तस्मानिया की प्लेइंग इलेवन में चुना गया था। बिग बैश लीग और अन्य घरेलू सीमित ओवरों के टूर्नामेंटों में प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद अब वह ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक कदम और करीब पहुंच गए हैं।

'सिर्फ़ मैं ही जानता हूं कि मुझे किन-किन चीज़ों से गुज़रना पड़ा'

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए निखिल ने तस्मानिया के ड्रेसिंग रूम में बताया कि कृपया समझें, मैं जिस दौर से गुज़रा हूं, उसे शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगा। आप भी नहीं समझ पाएंगे, सिर्फ़ मैं ही जानता हूं कि मुझे किन-किन चीज़ों से गुज़रना पड़ा। मुझे लगता है कि यह पिछले 5 सालों में मेरे द्वारा झेले गए संघर्षों का नतीजा है। बता दें कि निखिल पंजाब के लिए खेलते हुए हरभजन सिंह, युवराज सिंह, शुभमन गिल और अर्शदीप सिंह के साथ ड्रेसिंग रूम साझा कर चुके हैं।

सैलियन बीम्स ने की निखिल की तारीफ

क्रिकेट तस्मानिया के हाई परफॉर्मेंस महाप्रबंधक सैलियन बीम्स ने भी निखिल के धैर्य के बारे में बात की। बीम्स ने कहा कि उनकी कहानी दृढ़ता की है। कई खिलाड़ी देश बदलने के बाद खुद को ढालने में संघर्ष करते हैं, लेकिन वह लगातार प्रयास करते रहे, रन बनाते रहे और दृढ़ता दिखाई। भारत में उनका अनुभव और खुद को साबित करने की उनकी भूख उन्हें हमारी टीम के लिए एक बड़ी संपत्ति बनाती है।

निखिल ने याद किया अपने संघर्षों को

अपने डेब्यू से पहले निखिल ने अपने संघर्षों को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्‍होंने रसोई में पसीने से तर घंटों बिताए, प्याज काटते हुए गालों पर बहते आंसू, डिलीवरी के दौरान ग्राहकों की बदतमीजी और उन्‍होंने अगस्त 2023 के उस एक दिन का ज़िक्र किया, जब वह सब कुछ छोड़ने की कगार पर थे। तभी उन्होंने अपने स्थानीय अभिभावक बिल्ला चाचा से अपने दिल की बात कह दी, जो उनके असली चाचा नहीं, बल्कि उनके दोस्त के चाचा थे, जिनके घर में उन्हें महामारी के दौरान बंद कर दिया गया था।

'मैं क्रिकेट छोड़ रहा हूं'

उसी दौरान निखिल ब्रिस्बेन की बेहद प्रतिस्पर्धी टी20 लीग में खेल रहे थे, जिसके मैच सप्ताहांत में होते थे। उन्हें याद है, वह शुक्रवार का दिन था और वह सुबह 6 बजे की अपनी शिफ्ट से बहुत उदास महसूस करते हुए लौटे थे। कुछ घंटों बाद उन्हें मैच के लिए निकलना था, लेकिन उनका मन नहीं था। तीन साल क्रिकेट खेलने के बाद, जब उनका क्रिकेट करियर आगे नहीं बढ़ रहा था, उन्होंने चाचा से कहा कि मेरा तो बस हो गया है... मैं क्रिकेट छोड़ रहा हूं। मैं अपनी ज़िंदगी पर ध्यान दूंगा, यहां कुछ बिज़नेस करूंगा और नागरिकता पाने की कोशिश करूंगा।

'वह ज़िंदगी बदल देने वाली पारी थी'

उस दिन निखिल की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही थीं। उनकी टीम जल्दी ही ढेर हो गई और आखिरी क्रम के इस बल्लेबाज़ को अपनी ज़िंदगी के इस संकट से जूझते हुए एक और आग बुझानी पड़ी। उन्होंने कहा कि उस दिन मैंने 29 गेंदों में 79 रन बनाए। यह सिर्फ़ मैच जिताने वाली और खेल बदलने वाली पारी नहीं थी, बल्कि ज़िंदगी बदल देने वाली पारी थी।

'मुझे पता है कि वह क्या कहेंगे'

अगले दिन शनिवार को छुट्टी थी और फ़ाइनल रविवार को था तो निखिल ने गाड़ी चलाने के लिए उबर ऐप चालू कर दिया। निखिल ने बताया कि गाड़ी चलाते हुए मुझे अपने मैनेजर का फ़ोन आया। मुझे लगा कि मुझे पता है कि वह क्या कहेंगे - 'शाबाश निक्की, शाबाश। तुमने टीम को फ़ाइनल में पहुंचा दिया' वगैरह... लेकिन उन्होंने कहा, 'निक्की, हमने कर दिखाया। अपना फ़ोन चेक करो'...।

फोन चेक किया तो यकीन नहीं हुआ

निखिल ने अपनी गाड़ी रोकी और फोन चेक किया तो यकीन नहीं हुआ। उसे ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख टी20 लीग, बिग बैश में होबार्ट हरिकेंस के लिए खेलने का कॉन्ट्रैक्ट था। निखिल ने बताया कि ये देख मैं गाड़ी से बाहर निकला और गहरी सांस ली। क्या उन्होंने अगली बार उबर ट्रिप ली? इस पर निखिल ने हंसते हुए कहा कि मैंने उबर बंद कर दिया। ऐप डिलीट कर दिया और कहा कि मैं इसे दोबारा नहीं चलाऊंगा।

'अक्‍सर पैसे भेजने की इजाज़त मांगती रहती थीं मां'

उन्होंने घर फ़ोन किया और 'बिग बैश' में जाने के बारे में बताया तो परिवार ने राहत की सांस ली। टी20 में मिली उस अप्रत्याशित जीत से पहले निखिल को अक्सर अपनी मां मंजू का फ़ोन आता था, जो पैसे भेजने की इजाज़त मांगती रहती थीं। निखिल कहते हैं कि मुझे कभी भी विशेषाधिकार प्राप्त होना पसंद नहीं था। ऑस्ट्रेलिया में मेरे आस-पास हर कोई संघर्ष कर रहा था, वे अपने सपनों का पीछा करते हुए छोटे-मोटे काम करते थे। मैं भी यही करना चाहता था। 

'मुझे अगले 50 सालों तक काम करने की ज़रूरत नहीं, लेकिन...'

निखिला ने कहा कि मेरे पिता ने हमारे लिए इतना कुछ किया है कि मुझे अगले 50 सालों तक काम करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन मैं वही कर रहा हूं, जो उन्होंने किया था, इसलिए वे मेरे अकेले काम करने के ख़िलाफ नहीं थे। बता दें कि निखिल के पिता सनेह, जो एक इंजीनियर थे, बेहतर ज़िंदगी की तलाश में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर से दिल्ली आ गए। राष्ट्रीय राजधानी में ही निखिल और उनकी बहनों का जन्म हुआ। परिवार फिर से लुधियाना चला गया, जो उनका वर्तमान और स्थायी पता था। उस समय निखिल दो साल का था। 

हारिस रऊफ की गेंद पर छक्‍का जड़ पाई प्रसिद्ध‍ि

बिग बैश लीग ने निखिल को प्रसिद्धि दिलाई। पिछले साल एक मैच के बाद, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान और पर्थ स्कॉर्चर्स के तेज़ गेंदबाज़ हारिस राउफ़ की गेंद पर पॉइंट के ऊपर से छक्का जड़ा था, उसके बाद उनके पास फ़ोन पर संदेशों की बाढ़ आ गई थी। वे कहते हैं कि उस दिन मुझे मिले ज़्यादातर संदेशों का मैंने अब तक जवाब नहीं दिया है। अब निखिल का लक्ष्‍य है कि वह बाबर आज़म को आउट करें। बैगी ग्रीन से वह कितना दूर है? इस पर निखिल ने कहा कि बस मुझे 18 महीने का समय दीजिए, आप मुझे फिर से बुलाएंगे और हम फिर से बात करेंगे।