वर्ल्ड कप फाइनल मैचों में हर बार देखने को मिला है घमासान
विश्व कप फाइनल का नाम जब-जब आता है तो रोमांच का स्तर सारी हदें पार कर जाता है। वैसे 2011 विश्व का फाइनल आखिरी ऐसा मुकाबला था, जिसमें भरपूर रोमांच था। वैसे तो विश्व कप के फाइनल में हमेशा ही दिग्गज टीमों के बीच बड़ा घमासान देखने को मिलता है, लेकिन वर्ल्ड कप इतिहास के कुछ फाइनल ऐसे रहे हैं, जिन्हें शायद ही कभी भूला जा सकता है।
रोमांच से भरपूर वर्ल्ड कप के बेस्ट फाइनल मुकाबले
– वर्ल्ड चैंपियन की बात हो और 1983 वर्ल्ड कप फाइनल का जिक्र ना किया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। 1983 वर्ल्ड कप का फाइनल भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। इस मैच में भारत ने
पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज के सामने 184 रन का लक्ष्य रखा। मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल की धमाकेदार गेंदबाजी के दम भारत ने यह मुकाबला 43 रन से जीता लिया। भारत ने कपिल देन की कप्तानी में पहली बार विश्व कप का खिताब जीता।
– 1987 वर्ल्ड कप का फाइनल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। उस समय इंग्लैंड को 7 रन से हराकर ऑस्ट्रेलिया ने पहली बारी विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था। फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के सामने 254 रन की चुनौती रखी थी, लेकिन इंग्लैंड की टीम निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 246 रन ही बना सकी और ऑस्ट्रेलिया ने 7 रन से मुकाबले को जीत लिया।
– 1992 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच भी बेस्ट मुकाबलों में गिना जाता है। पाकिस्तान ने इंग्लैंड को हराकर पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया था। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड को 250 रन का लक्ष्य दिया था। पाकिस्तान ने ये मैच 22 रन से जीतकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया।
– 1996 वर्ल्ड कप फाइनल श्रीलंका के इतिहास में कभी नहीं भूला जा सकता। इस मैच में श्रीलंका का सामना ऑस्ट्रेलिया से था। कंगारुओं ने लंकाई टीम को जीत के लिए 242 रन का लक्ष्य दिया। श्रीलंका ने 22 गेंदें और 7 विकेट शेष रहते यह मुकाबला अपने नाम कर लिया।
– 2011 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला तो विश्व कप के इतिहास का सबसे बेहतरीन मुकाबला हो सकता है, क्योंकि जिस तरह भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आखिरी ओवर में सिक्स मारकर भारत को दूसरी बार वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया था, उसे कभी नहीं भूला जा सकता। फाइनल मैच में श्रीलंका की टीम भारत के सामने थी, जो उस समय की बेहतरीन टीम थी। महेला जयवर्धने की शतकीय पारी की बदौलत श्रीलंका ने भारत के सामने 275 रन का लक्ष्य रखा था, लेकिन गौतम गंभीर (97) और एमएस धोनी (91) की धमाकेदार पारियों के दम पर भारत ने यह मैच 6 विकेट से अपने नाम किया था।