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पत्नी और बेटियों ने मरा समझकर किया अंतिम संस्कार, 18 साल बाद जिंदा लौटा से शख्स तो फिर…!

बेचन को जब लॉकडाउन में कहीं भी काम नहीं मिला तो वह 18 साल बाद पादरी बाजार लौट आया। उस समय उसके घर पर उनकी बेटियां थी, जो उन्हें देखकर हैरान रह गई। वह खुशी के मारे फूले नहीं समा रही थी....

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दुनिया अजीबोगरीब रहस्यों से भरी पड़ी है। आज हम आपको एक ऐसी रोचक कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आपको अपने कानों पर विश्वास नहीं होगा। दरअसल, जंगल सालिकराम पादरी बाजार के शख्स बेचन सिंह 18 साल पहले अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काम की तलाश में पंजाब गए थे। उसने वहां मेहनत-मजदूरी की, लेकिन वह घर नहीं लौट पाया। दरअसल, वह इतना पैसा नहीं कमा पाया कि वह अपने परिवार के पास कुछ लेकर लौटे। वह काम की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा और जैसे-तैसे रोड पर ही गुजारा करता रहा। वर्ष 2012 तक बेचन के नहीं लौटने से उनकी पत्नी और बेटियों ने एक प्रतीकात्मक पुतला बनाया और उसका पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया और मौत के बाद की सारी औपचारिकता पूरी की गई।

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लॉकडाउन में 18 साल बाद घर लौटा
बेचन को जब लॉकडाउन में कहीं भी काम नहीं मिला तो वह 18 साल बाद फिर एक ट्रक की मदद से पादरी बाजार लौट आया। उस समय उसके घर पर उनकी बेटियां थी, जो उन्हें देखकर हैरान रह गई। वह खुशी के मारे फूले नहीं समा रही थी। एक की शादी होने वाली थी और दो की पहले हो चुकी थी। जब बेचान कमाने गया था कि तो उनकी बेटियां छोटी थीं। अब वह बड़ी हो गई थीं।

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घर छोड़कर चली गई पत्नी
बेचान की पत्नी पीहर गई हुई थी, जब वह अपने पीहर से लौटी तो वह घर छोड़कर चली गई। क्योंकि वह उनका कहना है कि जब वह गरीब से गुजर रहे थे तो उन्हें हमारी याद नहीं आई। अब जब काम नहीं मिला तो वह लौट आ गए। उस व्यक्त मैंने अपने बच्चों का लालन—पालन करने के लिए लोगों के घरों में चौका-बर्तन किया था। उनका कहना है कि ऐसे पति की जरूरत नहीं है, जो अपने घर और परिवार का ध्यान न रख सके।

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