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अजीबो-गरीब है Gary Kirsten के Team India के कोच बनने की कहानी, सिर्फ सात मिनट लगे थे

locationनई दिल्लीPublished: Jun 15, 2020 07:17:43 pm

Gary Kirsten ने कहा कि कोचिंग में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने Gary Kirsten के कोच पद के लिए आवेदन भी नहीं किया था।

Gary Kirsten most successfull coach of Team India

Gary Kirsten most successfull coach of Team India

नई दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team) के बाएं हाथ के बल्लेबाज गैरी कर्स्‍टन (Gary Kirsten) के टीम इंडिया (Team India) के कोच बनने की कहानी बहुत दिलचस्प है। लेकिन जितनी रोचक है, उससे भी कहीं ज्यादा अजीबो-गरीब। टीम इंडिया के सबसे बेहतरीन कोचों में से एक माने जाने वाले कर्स्टन के मुताबिक उन्हें यह पद मिलने में महज सात मिनट लगा था।

गावस्कर ने निभाई अहम भूमिका

गैरी कर्स्‍टन ने कहा कि कोचिंग में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने टीम इंडिया के कोच पद के लिए आवेदन भी नहीं किया था। यहां तक कि जब उन्हें कोच पद के लिए मेल से ऑफर किया गया था, तब उन्होंने इसका जवाब भी नहीं दिया था। इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया के कोच का पद मिला तो उसमें टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की अहम भूमिका थी।

महज सात मिनट में मिल गया यह पोस्ट

गैरी कर्स्टन ने कहा कि 2007 में जब वह टीम इंडिया के कोच चुने गए तो साक्षात्कार में सिर्फ सात मिनट लगे थे। इतने कम समय में ही उन्हें यह महत्वपूर्ण पद मिल गया था। टीम इंडिया का कोच बनाने में विश्व क्रिकेट के महानतम सलामी बल्लेबाजों में से एक सुनील गावस्कर की अहम भूमिका रही थी। कर्स्टन ने एक पॉडकास्ट में 2007 में अपने कोच बनने की घटनाओं के बारे में बताया।

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कोच पद के लिए आवेदन भी नहीं किया था

कर्स्टन ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि वह सुनील गावस्कर के निमंत्रण पर साक्षात्कार के लिए भारत गए थे। उस वक्त गावस्कर कोच चयन पैनल का हिस्सा थे। कर्स्टन ने बताया कि उन्हें सुनील गावस्कर का एक ईमेल मिला था। क्या वह टीम इंडिया का कोच बनना चाहेंगे। यह मेल देखकर उन्हें लगा कि किसी ने उनके साथ मजाक किया है। उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्हें एक और मेल मिला कि जिसमें लिखा था कि क्या आप साक्षात्कार के लिए आना चाहेंगे? यह मेल जब उन्होंने अपनी पत्नी को दिखाया तो पत्नी ने कहा, लगता है कि गावस्कर के पास कोई गलत व्यक्ति है।

कर्स्टन को देख कुंबले हो गए थे हैरान

कर्स्टन ने कहा कि उनके पास कोचिंग का कोई अनुभव नहीं था। इस अजीबो-गरीब इत्तेफाक से उनका कोचिंग के क्षेत्र में प्रवेश हुआ, जो उनके करियर के लिए सही रहा। कर्स्टन ने बताया कि जब वह साक्षात्कार के लिए भारत पहुंचे तो उन्हें तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले (Anil Kumble) से मिलने का मौका मिला। कर्स्टन ने कहा कि वह और कुंबले दोनों उनकी कोच पद की दावेदारी की संभावना पर हंस पड़े थे। कर्स्टन ने कहा कि जब अनिल कुंबले ने उन्हें देखा तो पूछा कि आप यहां क्या कर रहे हो? तब कर्स्टन ने उन्हें बताया कि वह कोच पद का साक्षात्कार देने आए हैं।

भारत के सबसे सफल कोचों में से एक बने

गैरी को हालांकि कोचिंग का कोई अनुभव नहीं था, इसके बावजूद जब वह टीम इंडिया का कोच बने तो देखते-देखते टीम इंडिया को शीर्ष पर ले गए और वह भारत के सबसे सफल कोचों में से एक बन गए। उनके रहते टीम इंडिया ने 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया और दो साल बाद विश्व कप जीता।

साक्षात्कार के लिए नहीं की थी कोई तैयारी

दक्षिण अफ्रीका के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने कहा कि उन्हें कोच पद हासिल करने में सिर्फ सात मिनट का समय लगा था। कर्स्टन ने कहा कि वह बीसीसीआई (BCCI) अधिकारियों के सामने थे। माहौल गंभीर था। बोर्ड सचिव ने कहा कि मिस्टर कर्स्टन क्या आप भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर अपना दृष्टिकोण पेश करेंगे। कर्स्टन ने कहा कि इस पर बताने के लिए उनके पास कुछ नहीं था। किसी ने भी उनसे ऐसी कोई तैयारी के लिए कहा नहीं था। वह अभी-अभी भारत पहुंचे ही थे। इसके बाद कोच चयन समिति में शामिल रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने उनसे पूछा कि यह बताइए कि दक्षिण अफ्रीकी टीम के रूप में टीम इंडिया को हराने के लिए आप क्या करते थे। उन्हें लगा कि वह इसका जवाब दे सकते हैं तो उन्होंने दो-तीन मिनट में उसका जवाब दे दिया, मगर ऐसी किसी रणनीति का जिक्र नहीं किया, जो हम उन दिनों उपयोग कर सकते थे।

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चैपल का अनुबंध पत्र उन्हें मिला

कर्स्टन ने कहा कि उनके साक्षात्कार से शास्त्री और बोर्ड के अन्य सदस्य काफी प्रभावित थे, क्योंकि इसके तीन मिनट बाद ही बोर्ड के सचिव ने उनके सामने अनुबंध पत्र रख दिया। उन्होंने बताया कि उनका साक्षात्कार सिर्फ सात मिनट तक चला था। जब अनुबंध देखा तो उनका नाम ही नहीं लिखा था। इस पर निर्वतमान कोच ग्रेग चैपल (Greg Chappell) का नाम लिखा था। तब उन्होंने उसे वापस खिसका कर सचिव से कहा कि सर, आपने पिछले कोच का अनुबंध उन्हें सौंपा है। इसके बाद उन्होंने अपनी जेब से पेन निकाला और चैपल का नाम काटकर उस पर उनका नाम लिख दिया था। कर्स्टन ने बताया कि इस तरह उन्हें टीम इंडिया के कोच का पद मिला था।

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