फिक्सरों के नामों को सार्वजनिक करने की मांग की –
विनोद राय और डायना एडुल्जी की समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट से इन नामों को सार्वजनिक करने की गुजारिश की थी। गंभीर ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा ” जिन लोगो ने गलत किया है उनका नाम सार्वजनिक कर देना चाहिए। हर किसी को उनके नाम जानने की ज़रूरत है और उन्हें दंड भी देना चाहिए।” इतना ही नहीं गंभीर ने नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ टी-20 सीरीज के दौरान ईडन गार्डन्स में खेले गए मैच से पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन को घंटी बजाने की आज्ञा देने पर भी सवाल खड़े किए थे। उस वक़्त गंभीर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई), प्रशासकों की समिति (सीओए) और बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) की आलोचना की थी।
अज़हर के घंटी बजाने पर हुए थे नाराज़ –
अज़हर को लेकर गंभीर ने ट्विटर पर लिखा था “भारत ने भले ही ईडन गार्डन्स स्टेडियम में हुए मैच में जीत हासिल की हो लेकिन मुझे खेद है कि बीसीसीआई, सीओए और सीएबी की हार हुई है। ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करने की नीति रविवार को छुट्टी पर थी। मैं जानता हूं कि उन्हें (अजहरुद्दीन को) एचसीए का चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी लेकिन यह तो सदमा पहुंचाने वाला है। घंटी बज रही है, उम्मीद करता हूं कि शक्तियां सुन रही होंगी।”
अज़हरुद्दीन का विवादित करियर –
बता दें अज़हरुद्दीन मैच फिक्सिंग विवाद में बैन होने वाले खिलाड़ी में से एक थे। अजहर के करियर का विवादास्पद ढंग से अंत हुआ था। वर्ष 2000 में मैच फिक्सिंग विवाद में उनका नाम सामने आया था और उन पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगाया था। उनका नाम हंसी क्रोन्ये ने किंग कमीशन की जाँच में रखा था। क्रोन्ये ने कहा था कि अज़हर ने उन्हें एक बुकी से मिलवाया था, जिन्होंने उन्हें दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे के दौरान 1996 के टेस्ट मैच में पैसा देने की पेशकश की थी। हालांकि अजहर ने दावों को गलत बताया था, लेकिन बीसीसीआई ने उन्हें जीवन भर के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, इस फैसले को अजहर ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और वर्ष 2012 में न्यायालय का फैसला अजहर के पक्ष में रहा था। उन्होंने भारत के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले हैं।