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ग्रीन कार्ड मिला, रेस्टोरेंट बिजनेस में हाथ आजमाया.. और फिर भारतीय मूल का क्रिकेटर बन गया अमेरिकी टीम का कप्तान

Monank Patel: मोनांक पटेल को साल 2010 में अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिल गया था। भारत में अंडर-19 स्तर पर कुछ खास कमाल न कर पाने के बाद मोनांक पटेल साल 2016 में स्थायी रूप से अमेरिका शिफ्ट हो गए।

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Jul 14, 2025
Monank Patel (Photo Credit - IANS)

Monank Patel: क्रिकेट सुपर पावर भारत एक ऐसा देश है जहां क्रिकेट को लेकर एक अलग ही पैशन है। एक ऐसा देश, जहां यह खेल धर्म की तरह भी पूजा गया और आज पेशेवर स्तर पर नई ऊंचाई हासिल कर चुका है। क्रिकेट को लेकर भारत जैसी प्रतिस्पर्धा कहीं और नहीं है। इस प्रतियोगिता में युवा प्रतिभाओं का कई बार देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना अधूरा रह जाता है। हालांकि क्रिकेट की ऐसी जुनूनी प्रतिभाएं कई बार अपना रास्ता खुद बना लेती हैं और किसी अन्य मंच पर अपनी चमक बिखरेती हैं। अमेरिका में भारत की ऐसी ही एक प्रतिभा अपना ढंका बजा रही है जिनका नाम है- मोनांक पटेल।

कई बार जब आप उम्मीद खो बैठते हैं, तो ऐसे चमत्कार हो जाते हैं, जिनसे आपका नसीब ही बदल जाता है। कुछ ऐसा ही मोनांक पटेल के साथ भी हुआ। 1 मई 1993 को आणंद (गुजरात) में जन्मे मोनांक पटेल बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे। मोनांक का सपना था कि वह एक दिन भारत के लिए खेलें।

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विकेटकीपर-बल्लेबाज मोनांक अपने सपने को साकार करने के लिए गुजरात की अंडर-16 और अंडर-18 टीम की ओर से क्रिकेट खेले। इस दौरान जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल उनके साथी भी रहे। 13 वर्ष की उम्र में मोनांक अंडर-15 टूर्नामेंट में आणंद जिला क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने सूरत और भरूच के खिलाफ क्रमशः 144 और शानदार 166 रन बनाए।

2010 में अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिला

मोनांक पटेल को साल 2010 में अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिल गया था। भारत में अंडर-19 स्तर पर कुछ खास कमाल न कर पाने के बाद मोनांक पटेल साल 2016 में स्थायी रूप से अमेरिका शिफ्ट हो गए।

साल 2016 में उन्होंने रेस्टोरेंट बिजनेस में हाथ आजमाने का फैसला किया। उन्होंने अमेरिका में 'टेरियाकी मैडनेस' नाम से एक चाइनीज रेस्टोरेंट खोला। लगभग दो साल तक, उन्होंने रेस्टोरेंट में रोजाना करीब 10-12 घंटे काम किया। रेस्टोरेंट में ब्रिकी कम थी। ऐसे में मोनांक को मैनेजर के साथ-साथ शेफ का काम भी करना पड़ गया।

एक तरफ बिजनेस में खास मुनाफा नहीं था, दूसरी तरफ मोनांक को एक और झटका लग गया। उन्हें मां के कैंसर से पीड़ित होने का पता चला। ऐसे में आखिरकार रेस्टोरेंट बिजनेस को बेचने का फैसला करना पड़ा। मोनांक के बैंक अकाउंट में सिर्फ 3000 डॉलर बचे थे। उन्होंने बीमार मां के पास न्यू जर्सी वापस लौटने का फैसला लिया।

..और अमेरिकी टीम के दरवाजे खुले

पूर्व अमेरिकी कोच पुबुदु दसनायके ने मोनांक की बल्लेबाजी का वीडियो देखा, तो उनसे प्रभावित हो गए। उन्होंने तुरंत कुछ मैच खेलने के लिए मोनांक को बुला लिया। बाद में मोनांक की प्रतिभा ने उनके लिए अमेरिकी टीम के रास्ते खोल दिए।

साल 2019 में मोनांक पटेल को अमेरिका की ओर से खेलने का मौका मिला और साल 2021 में उन्हें अमेरिकी पुरुष क्रिकेट टीम की कमान सौंप दी गई। 13 सितंबर 2021 को मोनांक ने नेपाल के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर धाक जमा दी। मोनांक ने जून 2022 में अपना दूसरा वनडे शतक जमाया। इसके बाद अगस्त 2024 में नाबाद 121 रन की पारी खेली।

एक नजर मोनांक पटेल के करियर पर

मोनांक पटेल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 67 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें 35.35 की औसत के साथ 2,192 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उनके बल्ले से तीन शतक और 17 अर्द्धशतक निकले हैं। वहीं, 43 टी20 मुकाबलों में दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 27.87 की औसत से 920 रन बनाए हैं। उन्होंने अमेरिका के लिए इस प्रारूप में एक शतक और छह अर्द्धशतक लगाए हैं।

लिस्ट-ए क्रिकेट में मोनांक पटेल के प्रदर्शन को देखा जाए, तो उन्होंने 35.18 की औसत के साथ 2,850 रन अपने खाते में जोड़े हैं। इसमें उनके नाम चार शतक और 21 अर्द्धशतक दर्ज हैं। मोनांक पटेल मेजर लीग क्रिकेट में अपनी चमक बिखेर चुके हैं। फैंस को यकीन है कि अगले आईपीएल सीजन वह विश्व की सबसे बड़ी टी20 क्रिकेट लीग में भी खेलते नजर आ सकते हैं। मां ने दुनिया छोड़ने से पहले मोनांक से 'खेलते रहने और खूब मेहनत' करने को कहा था। मोनांक ने मां की इस बात को गांठ बांध लिया। कभी अमेरिका में रेस्टोरेंट चला रहे मोनांक आज उसी देश के क्रिकेट कप्तान हैं।

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