खेती करते हैं पिता
मारूफा एक सामान्य परिवार से आती हैं। उनके पिता खेती करते हैं और मां घर पर बच्चों की देखभाल करती हैं। मारूफा अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। मारूफा ने जब क्रिकेटर बनने की इच्छा जताई तो माता-पिता से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला। आज वे बांग्लादेश टीम का एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं, लेकिन अब भी उनकी मां नहीं चाहती कि वे
क्रिकेट खेलें। पिछले साल टी-20 विश्व कप के समय मारूफा का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे अपने खेत पर पिता के साथ हल चलाते हुए दिखाई दी थीं।
बडे़ भाइयों का मिला साथ
मारूफा ने बताया कि उनकी मां चाहती हैं कि बाकी लड़कियों की तरह मैं भी घर पर ही बैठूं। इस सफर में मारूफा को अपने बड़े भाइयों का पूरा साथ मिला। बचपन में वे लड़कों के साथ क्रिकेट और फुटबॉल खेला करती थीं। कई बार लड़के उन्हें अपने साथ फुटबॉल खिलाने से मना कर देते थे तब वे खूब रोया करती थीं। जब उनके बड़े भाई अल अमीन इस्लाम ने खेल के प्रति उनका जुनून देखा तो समझाया कि खेलना है तो क्रिकेट खेलो, फुटबॉल में पैर में चोट लगने का खतरा है। मारूफा ने अपने बड़े भाई की सलाह मान ली। भाई ने उनका एक स्थानीय एकेडमी में दाखिला करा दिया, जहां से मारूफा ने क्रिकेट के गुर सीखे। टी20 विश्व कप में बांग्लादेश की उम्मीद
भले ही मां से थोड़ी बगावत करनी पड़ी, लेकिन भाई से जो सहयोग मिला, उससे मारूफा अपने सपने को साकार करने में कामयाब रहीं। मारूफा अब तक बांग्लादेश के लिए 26 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच खेल चुकी हैं, जिसमें उसने 18 विकेट हासिल किए हैं। बांग्लादेश को महिला टी-20 विश्व कप 2024 में भी मारूफा से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी।