जयदेव उनादकट ने 2019—2020 के रणजी सीजन में 67 विकेट लेकर सौराष्ट्र को पहला खिताब दिलाया था। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलने वाले उनादकट ने श्रीलंका दौरे पर नजरअंदाज किए जाने के बाद उनादकट ने ट्विटर पर लिखा, ‘जब मैं बच्चा था तो मैं इस खेल के दिग्गजों को पूरे मनोयोग से खेलते हुए देखकर प्रेरित हुआ और मुझे अपना जुनून मिला, बाद के वर्षों में मैंने स्वयं यह अनुभव हासिल किया।’ साथ ही उन्होंने लिखा कि वर्ष 2010 में भारत की तरफ से डेब्यू करने के बाद एक गेंदबाज के रूप में परिपक्व हुए।
इसके साथ ही जयदेव उनादकट ने लिखा कि उन्होंने कभी हार नहीं मानने का जज्बा देखा और उसे आत्मसात किया। उन्होंने लिखा, ‘जब मैं युवा था तो कुछ लोगों ने मुझे गलतियां करने वाला, एक छोटे शहर से आकर बड़े सपने देखने वाला लड़का करार दिया। धीरे धीरे उनकी धारणा बदल गई और इसी वजह से मैं भी बदल गया, मैं परिपक्व हो गया। पता नहीं मैं इस खेल के बिना क्या होता।’
इसके अलावा जयदेव ने लिखा कि इस खेले ने उन्हें बहुत कुछ दिया है और उन्हें एक पल भी इस बात का पछतावा नहीं है कि उन्हें क्यों नहीं चुना गया। नोट में जयदेव ने लिखा,’ न ही मुझे इस बात का पछताबा है कि मेरा समय कब आएगा या मैंने क्या गलत किया। मुझे पूर्व में मौके मिले और मुझे अब भी मौके मिलेंगे। जब मुझे इन अवसरों को मिलना होगा तो वे मुझे मिलेंगे। जयदेव वर्ष 2018 के बाद से नेशनल टीम से बाहर चल रहे हैं। वहीं उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से एक टेस्ट, सात वनडे और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं।