
महेंद्र सिंह धोनी
नई दिल्ली। पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ( Mahendra Singh Dhoni ) इन दिनों आईपीएल के 13वें सीजन की तैयारियों में जुटे हैं। चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ खेल रहे एसएस धोनी वैसे तो अपने खेल और कूल नेचर की वजह से अकसर चर्चाओं में रहते हैं, लेकिन इस बार उनके चर्चा में रहने की वजह कुछ ओर है। एक विवाद के चलते इन दिनों एमएस धोनी चर्चाओं में बने हुए हैं।
दरअसल धोनी पर झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) का 1800 रुपए का सदस्य शुल्क बाकी है। जेएससीए का ये बकाया महेंद्र सिंह धोनी के लिए किसी बड़े विवाद का रूप भी ले सकता है। आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
आईपीएल 2020 शुरू होने से पहले ही महेंद्र सिंह धोनी एक विवाद को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। दरअसल हाल में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ यानी जेएससीए की ओर से वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 प्रकाशित की गई । इस रिपोर्ट में महेंद्र सिंह धोनी के सदस्यता शुल्क के 1800 रुपए बकाया होने का जिक्र किया गया है।
खास बात यह है कि इस रिपोर्ट में बकाया राशि शुल्क को लेकर अन्य कोई विवरण नहीं दिया गया है। सिर्फ इस बात की जानकारी दी गई है कि ये राशि रांची स्थित भारत के सबसे कामयाब कप्तानों में से एक से प्राप्य थी यानी लेना बाकी है।
प्रकाशित जेएससीए की वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 में 1,800 रुपये बकाया होने का उल्लेख किया गया है। हालांकि, रिपोर्ट में बकाया राशि का कोई अन्य विवरण नहीं दिया गया है, सिवाय इतना ही कहा गया है कि यह राशि रांची स्थित भारत के सबसे सफल कप्तानों में से प्राप्य थी।
अपने पसंदीदा खिलाड़ी को लेकर इस जानकारी के बाद हालांकि कुछ स्कूली छात्रों और प्रशंसकों ने पैसा इकट्ठा करने के बाद उसे ड्राफ्ट बनाकर जेएससीए को सौंपने की कोशिश की।
लेकिन जमशेदपुर में जेएससीए के पंजीकृत कार्यालय में ड्राफ्ट जमाने कराने गए तो वहां मौजूद लोगों ने इस ड्राफ्ट को लेने से इनकार कर दिया।
ड्राफ्ट को ना लिए जाने के बात खुद जेएससीए के सचिव संजय सहाय ने स्वीकार की है।
सहाय ने बताई बकाया राशि की असली वजह
दरअसल पहले तो सहाय से इस बात की पुष्टि की कि प्रशंसकों की ओर से दिया गया ड्राफ्ट लिया नहीं गया। इसके बाद उन्होंने बकाया राशि को लेकर बताया कि आखिर ये किस बात के बकाया है। सहाय ने बताया कि वास्तव में ये राशि धोनी को 10 हजार रुपए के अपने जेएससीए जीवन सदस्यता शुल्क के जीएसटी राशि के तौर पर जमा करनी है। जीएसटी के रूप में उन्हें 1800 रुपए का शुल्क देना बाकी है।
Published on:
07 Sept 2020 04:59 pm
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