
नई दिल्ली। निदहास ट्रॉफी के फाइनल में आज भारत और बांग्लादेश के बीच मुकाबला होना है। सीरीज के नॉक आउट दौर में इन दोनों टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फाइनल में अपनी जगह बनाई है। भारतीय टीम ने लगातार तीन जीत दर्ज कर फाइनल का टिकट कटाया है, जबकि बांग्लादेश दो बार मेजबान श्रीलंका को शिकस्त देकर फाइनल में पहुंचा है। निदहास ट्रॉफी का ये दूसरा फाइनल मैच होगा। आज से 20 साल पहले जब इस टूर्नामेंट का पहली बार आयोजन हुआ था, तब भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल मैच खेला गया था। खिताबी भिड़त में भारतीय टीम ने बेहद रोमांचक तरीके से 6 रनों के अंतर से जीत हासिल की थी। मैच में सचिन और गांगुली ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
1998 में पहली बार हुआ था आयोजन-
निदाहास ट्रॉफी का पहली बार साल 1998 में आयोजन किया गया था। तब इस टूर्नामेंट में भारत श्रीलंका के साथ तीसरी टीम न्यूजीलैंड की थी। इस सीरीज के राउंड मुकाबलों में बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत और श्रीलंका की टीम फाइनल में पहुंची थी। जहां भारतीय टीम बेहद रोमांचक मैच में 6 रनों के अंतर से जीत हासिल की थी।
क्या है निदाहास शब्द का मतलब -
निदाहास एक सिहंली शब्द है। जिसका मतलब आजादी है। यह टूर्नामेंट श्रीलंका की आजादी के 70 साल पूरे होने की खुशी में आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले आजादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर पहली बार निदाहास ट्रॉफी खेली गई थी। संस्कृत में भी निदाहास शब्द का प्रयोग किया जाता है। पालि और संस्कृत का सिंहली भाषा पर काफी असर देखने को मिलता है। श्रीलंका की कई राजनीतिक दलों में भी इस निदाहास शब्द का किया जाता है।
सचिन गांगुली की बेहतरीन साझेदारी-
फाइनल मैच में सचिन और गांगुली ने पहले विकेट के लिए 252 रनों की एतिहासिक साझेदारी की थी। जो उस समय भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहले विकेट के लिए हुई सबसे बड़ी साझेदारी थी। इस रिकॉर्ड को बाद में इसी जोड़ी ने साल 2001 में तोड़ा था। साथ ही सचिन ने इस मैच में अपना 7000 रन भी पूरा किया था। बता दें कि सचिन ने इस मैच में 128 रनों की शतकीय पारी खेली थी। जबकि सौरभ गांगुली ने 109 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली थी। जिसके दम पर भारत ने श्रीलंका के सामने 307 रनों का विशाल लक्ष्य दिया था। जिसका पीछा करते हुए श्रीलंकाई टीम 301 ही रना सकी थी।
Published on:
18 Mar 2018 09:07 am
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