याचिका में कहा गया था कि जांच समिति एकमत नहीं थी
याचिकाकता ने लोकपाल से जांच कराने की मांग के पक्ष में यह तर्क दिया था कि बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी पर तीन महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। एक महिला किसी कारणवश सामने नहीं आई थी, जबकि दो ने जौहरी के खिलाफ बयान दिया था। इसके बावजूद जांच समिति ने उन्हें संदेह का लाभ देकर क्लीन चिट दे दी थी। इस जांच समिति में तीन सदस्य राकेश शर्मा, बरखा सिंह और वीना गौड़ा थे और तीनों की राय अलग-अगल थी। राकेश और बरखा ने अपनी जांच रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दी थी तो एक सदस्य वीणा गौड़ा ने उन्हें दोषी करार दिया था। उन्होंने कहा था कि बर्मिघम में महिला के साथ राहुल जौहरी का व्यवहार बीसीसीआई जैसे संस्थान के सीईओ जैसे पद पर रहते हुए बेहद गैरपेशेवर था। इससे संस्थान की छवि धूमिल होती है।