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कोरोना की जंग में पठान बंधु भी आए सामने, 4000 मास्क किए दान

Irfan Pathan ने बताया कि ये मास्क वडोदरा स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं। वह इन्हें जरूरतमंदों के बीच बांटेगा।

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Irfan pathan and yousuf pathan

Irfan pathan and yousuf pathan

बड़ौदा : कोरोना वायरस (CoronaVirus) महामारी की चपेट में दुनियाभर में करीब तीन लाख 32 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 14 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सिर्फ पिछले 24 घंटों में करीब 41 हजार नए मामले सामने आए हैं। भारत में भी यह संख्या बढ़कर लगभग 500 पहुंच गई है, जबकि 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके मद्देनजर टीम इंडिया के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी इरफान पठान (Irfan Pathan) और उनके बड़े भाई यूसुफ पठान (Yousuf Pathan) सामने आए हैं। इन्होंने कोविड-19 महामारी से निबटने के लिए 4000 मास्क दान किया है।

इस समय कोरोना वायरस के कारण करीब पूरे देश में लॉक डाउन की स्थिति है।

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ट्वीट कर दी जानकारी

बता दें कि इरफान और यूसुफ दोनों भाई टीम इंडिया के लिए खेल चुके हैं और सामाजिक कामों में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इरफान ने यूसुफ को टैग कर लिखा है कि वे दोनों समाज के लिए अपना योगदान कर रहे है और जो लोग भी ऐसा कर सकते हैं, कृपया वह आगे आएं और एक-दूसरे की मदद करें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि भीड़ इकट्ठी न होने दें। उन्होंने आगे लिखा है कि यह एक छोटी-सी शुरुआत है। उम्मीद है कि हम और अधिक मदद करते रहेंगे।

बड़ौदा स्वास्थ्य विभाग को दिए मास्क

इरफान पठान ने इस ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें वह यह बता रहे हैं कि उन्होंने और उनके भाई ने महमूद खान पठान चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर मास्क खरीदे हैं और इस ट्रस्ट का संचालन उनके पिता करते हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि ये मास्क वडोदरा स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं। वह इन्हें जरूरतमंदों के बीच बांटेगा।

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हमेशा करते रहते हैं मदद

बता दें कि पठान बंधु सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पिछले दिनों जब गुजरात में बाढ़ आई थी, तब पठान बंधु घर-घर खाना पहुंचा रहे थे और बाढ़ में फंसे लोगों को जरूरत का सामान मुहैय्या करा रहे थे। यूसुफ पठान तो खुद ही खाना परोसते और खिलाते दिखे थे। वहीं जब जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के बाद कर्फ्यू लगा था, तक जम्मू-कश्मीर रणजी टीम की मदद के लिए इरफान पठान सामने आए थे और बड़ौदा में अपने घर पर उन्हें अभ्यास की सुविधा मुहैया करवाई थी। उनके प्रयास की मदद से ही इस साल जम्मू-कश्मीर की टीम रणजी ट्रॉफी में खेल पाई थी।