काशी के युवाओं ने पारंपरिक परिधान में क्रिकेट मैच खेलकर एक रोचक उदाहरण पेश किया है। वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मंगलवार को अनोखा क्रिकेट मैच देखने को मिला। मैच में सभी खिलाड़ियों ने धोती-कुर्ता पहनकर बैटिंग-बॉलिंग-फील्डिंग की।
संस्कृत में मैच की कमेंट्री ने लोगों को किया मंत्रमुग्ध
अंग्रेजी को अच्छे से जानने और समझने वाले भारतीय हिंदी में कमेंटरी सुनना पसंद करते है, लेकिन यहां दुनिया की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत में मैच की कमेंट्री ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्रार्थ महाविद्यालय के डायमंड जुबली वर्ष में प्रवेश करने के मौके पर संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
टीका चंदन लगाकर मैदान में चौके-छक्के भी जड़े
क्रिकेट का जन्म हमारे देश में नहीं हुआ है, लेकिन काशी का क्रिकेट मैच हर तरीके से हमारा लगा। मैच को देखकर ऐसा लगा जैसे देश के युवा 19वीं सदी में कबड्डी् खेल रहे हों। इस अनोखे मैच में क्रिकेट को अपने रंग में रंगने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। क्या बल्लेबाज, क्या बॉलर और क्या फील्डर हर कोई देश की वेशभूषा में गजब ढा रहे थे, तो फिर अंपायर कहां पीछे रहने वाले थे।
मैच के दौरान अंपायर रुद्राक्ष की माला पहने फैसले देते हुए नजर आए। वहीं, टूर्नामेंट के आयोजकों ने इस अनोखे आयोजन की वजह भी बताई। आयोजकों ने बताया कि संस्कृत क्रिकेट का उद्देश्य वेद पढ़ने वाले बच्चे किसी से कम नहीं हैं, वो केवल कर्मकांड, पूजा कराने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि टीका चंदन लगाकर मैदान में चौके-छक्के भी जड़ सकते हैं।
टीमों के नाम भी संस्कृत में रखे गए
इस टूर्नामेंट में पांच टीमों ने हिस्सा लिया। आठ-आठ ओवरों वाले मैच के दौरान सारे नियम-कायदे किसी अंतरराष्ट्रीय मैच जैसे ही थे। टूर्नामेंट में शामिल हुई टीमों के नाम भी संस्कृत में रखे गए। शास्त्रार्थ-अ, शास्त्रार्थ-ब, इंटरनेशनल चंद्रमौलि संस्थान, चल्ला शास्त्री वेद विद्यालय और ब्रह्मा वेद विद्यालय की टीमों ने भाग लिया।