वर्दी और भर्ती घोटाले के बाद प्रदेश में बॉडीगार्ड घोटाले ( Bodyguard Scam ) की धमक सुनाई दे ही है। सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है कि प्रदेश में बॉडीगार्ड घोटाला हुआ है।
बीजेपी की अल्पसंख्यक इकाई का अध्यक्ष निकला बांग्लादेशी, जानिए फिर कांग्रेस ने क्या किया सवाल आरटीआई के जरिये कैग की रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि प्रदेश में सिस्टम की मिलीभगत से बॉडीगार्ड घोटाले के अंजाम दिया या है।
राज्य सरकार को इतने का लगा चूना
कैग रिपोर्ट से हुए खुलासे पर गौर करें तो बॉडीगार्ड घोटाले से राज्य सरकार को 100 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का चूना लगाया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट ने मांगी थी जानकारी
आरटीआई एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय ने बड़ी संख्या में लोगों को बॉडीगार्ड मुहैया कराने के मामले में सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी थी।
कैग से मांगी गई इस जानकारी में प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा जिलों में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं।
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सीएजी ने खुलासा किया है कि सरकार ने अरवल जिले में सबसे ज्यादा 1.24 करोड़ रुपये बॉडीगार्ड पर खर्च किए। जबकि अररिया में भी 1 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी की गई।
इसके अलावा समस्तीपुर में 1 करोड़, पटना में 87 लाख, गया में 73 लाख और बक्सर में 44 लाख रुपये के साथ ही कई अन्य जिलों में भी निजी लोगों के बॉडीगार्ड पर पैसे खर्च हुए।
आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक हाईकोर्ट का साफ आदेश है कि वैसे लोगों पर ही बॉडीगार्ड के मद में सरकार पैसे खर्च कर सकती है जो सामाजिक सरोकार से जुड़े हों या उनकी जान पर किसी प्रकार का खतरा हो।
लेकिन रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, उसके मुताबिक कई आपराधिक प्रवृत्ति और माफिया किस्म के लोगों को भी बॉडीगार्ड मुहैया कराए गए। यही नहीं इसके बदले में राशि भई नहीं वसूली गई। आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि अगर पैसे की रिकवरी नहीं होती है, तो वह सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
बिहार पुलिस पर भी आंच
आपको बता दें कि 2017 से लेकर 2021 तक बॉडीगार्ड आवंटन में यह घोटाला किया गया है। सीएजी की रिपोर्ट से बिहार पुलिस मुख्यालय भी अवगत है और कई जिलों के डीएम-एसपी पर भी जांच की आंच आ सकती है।
निजी स्वार्थ का आरोप
इन अधिकारियों पर आरोप है कि निजी स्वार्थ में इन्होंने सरकार को राजस्व का नुकसान कराया।