CG News: किसी छोटे फर्नीचर निर्माता की बलि चढ़ाने की रस्म
पत्रिका ने गोलापल्ली से खम्मम तक के गांवों का जायजा लिया तो पाया हर घर में अवैध लकड़ी से फर्नीचर बनाने का काम चल रहा है। डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से पदस्थ वन कर्मियों को साथ में लेकर इस पूरे सिंडिकेट को अंजाम दिया जा रहा है। सागौन के जंगल साफ हो रहे हैं और
वन विभाग के जिम्मेदार मौन हैं। कार्रवाई के नाम पर किसी छोटे फर्नीचर निर्माता की बलि चढ़ाने की रस्म अदायगी कर दी जाती है।
अक्षय भोसले, डीएफओ, सुकमा: हाल ही मैंने मरईगुड़ा, गोलापल्ली, किस्टारम का दौरा किया था। अवैध कटाई पर कार्रवाई करने कहा है। अधिकारियों को सख्त एक्शन लेने कहा गया है। जो लोग घरों में आरा मिल चला रहे हैं उनके लाइसेंस देखेंगे अवैध रूप से मशीन का उपयोग करने पर उन्हें जब्त कर कार्रवाई करेंगे।
कटाई के बाद गोलापल्ली से मरईगुड़ा तक दिख रहे ठूंठ
मरईगुड़ा लिंगनपल्ली के आगे से गोलापल्ली के पहाड़ी तक सैकड़ों नहीं हजारों की तादात में सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई की गई हैं। इनके ठूंठ अभी भी मौजूद हैं। अब तस्कर सडक़ किनारे के पेड़ों को काटकर परिवहन करने में लगे हुए हैं। इसका जीता जागता उदाहरण ग्राम मरईगुड़ा से मात्र सात-आठ किमी अन्दर जंगलों में बड़ा वन तस्कर गिरोह कार्यरत हैं, जो वन अमले को साथ लेकर काम को अंजाम दे रहा है। ग्रामीण बोले- बीट गार्ड से अफसर तक को जाता है हिस्सा
CG News: पत्रिका को इलाके के कुछ ग्रामीणों ने बताया कि सागौन की कटाई की खेल में बीट गार्ड से लेकर अफसरों तक को हिस्सा जाता है। यहां की लकड़ी तेलंगाना भी पहुंच रही है और वहां पर बड़े पैमाने पर
फर्नीचर बनाई जा रही है। यहां खरीदी करेंगे तो कहा जाता है सामान पसंद कर लो बॉर्डर पार करवाने की जिम्मेदारी हमारी।
गोलापल्ली से मरईगुड़ा तक पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि इमारती लकड़कियों की कटाई कर तेलंगाना इलाके में खपाई जा रही है। गोल्लापल्ली से मरईगुड़ा , गंगलेर , कोत्तूर , लिंगनपल्ली , रामपुरम तक कुल 15 घरों में आरा मशीन लगाकर फर्नीचर बनाए जा रहे हैं। गोलापल्ली रेंज कार्यालय से महज चार पांच किमी दूरी में ही लकड़ी काटने के मशीनें लगी हुई हैं। रात के बाद दिन में भी बैखौफ कटाई चल रही है। वन विभाग को सब पता है पर जिम्मेदारों की आंख बंद है।