
Dantewada Naxal Encounter: अबूझमाड़ के थुलथुली-नेंदूर के जंगलों में हुई मुठभेड़ में मारी गई आठ लाख के इनामी महिला नक्सली का शव भाइयों ने लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा हमारी बहन का नाम तो श्यामबती था। हम मीना का शव लेकर क्या करेंगे। मन नहीं माना तो अंतिम बार देखने आए हैं।
आखिर बचपन में उसे गोद में खिलाया था। इसलिए खुद को रोक नहीं पाए। लेकिन शव को गांव लेकर नहीं जाएगें। बेहद दर्द भरे स्वर में भाईयों ने यह व्यथा मीडिया के सामने बताई। मारी गयी मीना नेताम पर 8 लाख का इनाम घोषित था। वह नक्सली संगठन में डीवीसीएम पद पर थी। मीना नारायणपुर के मेंहदी गांव की रहने वाली थी।
पुलिस ने उसके परिजन को सूचित किया कि मुठभेड़ मीना मारी गई है। परिजन आए तो लेकिन शव लेने से इंकार कर दिया। मीना का अंतिम संस्कार पुलिस प्रशासन ने दंतेवाड़ा श्मशान घाट में परिजनों की मौजूदगी में करवाया।
मीना नेताम के दो बड़े भाई अगनुराम पेशे से शिक्षक है और साथ में उनका दूसरा रामप्रसाद दंतेवाड़ा पहुंचे थे। वे अंतिम बार मीना को देखने पहुंचे थे। उन्होंने कहा बहन है इसलिए खुद को रोक नहीं पाए। (Dantewada Naxal Encounter) उसे अंतिम बार देख लेते हैं लेकिन शव को लकर नहीं जाएगें। जिसने घर छोड़ दिया, समाज छोड़ दिया और कभी घर वालों की याद नहीं आई।
अब उस गांव में ले जाने का कोई मतलब भी नहीं है। इन बातों को सुन पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार परिजन के सामने करवा दिया। घर वालों ने बताया वह पिछले 25 वर्षों से घर नहीं आई है।
Dantewada Naxal Encounter: नक्सली संगठन में 14 साल की श्यामबती शामिल हुई। वहां उसका नाम मीना हो गया। 25 साल में वह आतंक का पर्याय बन गई। पुलिस के मुताबिक मीना एक एके 47 को बखूबी चलाती थी। वह कई बड़ी वारदातों में शामिल रही है। आखिर मीना नेताम का हश्र भी वही हुआ जो नीति उर्फ उर्मिला का हुआ। अबूझमाड में मारे गए 31 माओवादियों में एक शव उसका भी शामिल था।
Updated on:
09 Oct 2024 07:42 am
Published on:
09 Oct 2024 07:40 am
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